जम्मू। जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सैलानियों पर हुए हमले (Pahalgam Terror Attack) में 28 लोग जान गंवा चुके हैं। आतंकवादियों (Terrorists) की इस नापाक हरकत ने सभी को हैरत में डाल दिया है और शक की सुई पाकिस्तान (Pakistan .) की ओर मुड़ रही है। जानकारों का कहना है कि घाटी को आर्थिक झटका (Economic blow to the valley) देने की यह चाल हो सकती है। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से अब तक इस घटना को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
जम्मू और कश्मीर पुलिस के पूर्व प्रमुख एसपी वैद का कहना है कि TRF यानी द रेजिसटेंस फोर्स का हमले की जिम्मेदारी लेना महज दिखावा है। उन्होंने कहा कि यह काम लश्कर-ए-तैयबा का है। उन्होंने कहा, ‘लोकल आतंकी पर्यटकों पर हमला करने से डरते हैं। उन्हें पता है कि इसका असर क्या होगा। इसमें शक ही नहीं है कि ये विदेशी आतंकियों का काम है, जिन्हें पाकिस्तान में बैठे आकाओं ने भेजा था।’
उन्होंने कहा कि पहले स्थानीय और विदेशी आतंकी अमरनाथ यात्रा पर आए लोगों पर हमला करते थे, ‘लेकिन यह उनकी रणनीति में बदलाव है, क्योंकि इससे घाटी पर गहरा असर पड़ेगा। पर्यटक बुकिंग रद्द करेंगे, होटल खाली हो जाएंगे। बाहर के लोगों को कश्मीर जाने में डर लगेगा। पाकिस्तान यही चाहता है। कश्मीर के सभी लोगों को इसके खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए।’
दिल्ली पुलिस के पूर्व प्रमुख एसएन श्रीवास्तव का कहना है, ‘अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों की कमर टूट गई है। पर्यटकों पर हुआ हमला खुद को कश्मीर में जिंदा रखने की पाकिस्तान की हताशा को दिखाता है। अतीत के कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए, तो पर्यटक हमेशा कश्मीर में सुरक्षित रहे हैं। औसत कश्मीरी की आजीविका पर्यटन है।’
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल के हिमालय सिंह ने कहा कि 25-30 साल बाद सैलानियों पर फिर हमला हुआ है। उन्होंने कहा, ’90 के दशक में ऐसे मामले सामने आए थे, जहां आतंकी पर्यटकों पर हमला कर रहे थे। अधिकांश पीड़ित सैलानी हिंदू थे, लेकिन ये सब बीते 25-30 सालों में रुक गया था। मंगलवार को यह बड़ी घटना हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘सैनिक होने के नाते मैं यह कह सकता हूं कि इसपर जवाबी कार्रवाई होगी। सेना का जवाब कितना बड़ा होगा, यह सरकार पर निर्भर करता है। सेना के पास सभी विकल्प खुले हैं।’
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