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    Open cap में रखी करोड़ों की धान बर्बाद

  • June 15, 2021

    • मप्र के सरकारी गोदामों में अनाज रखने की जगह नहीं

    भोपाल। मप्र (MP) में सरकार (Government) हर साल किसानों से रिकार्ड (Reocrd) तोड़ अनाज खरीद रही है, लेकिन उन अनाजों को रखने के लिए गोदामों में जगह नहीं है। इस कारण उन्हें ओपन केप (Open Cap) में रखा जा रहा है। ओपन केप (Open Cap) में रखे अरबों रूपए के धान और गेहूं (Wheat) हर साल सड़ जाते हैं। इस बार कटनी (Katni) और शहडोल (Shadol) जिले में ओपन केप (Open Cap)  में रखा 81.86 करोड़ का 3.38 लाख क्विंटल धान सडऩे का मामला सामने आया है। 22 मई को मुख्यमंत्री (Chief Minister) को भेजे गए पत्र में राइस मिल एसोसिएशन कटनी (Rice Mill Association Katni) ने चेताया है कि वर्ष 2020-21 में खरीदकर ओपन केप (Open Cap) में रखा 14 लाख क्विंटल धान भी बारिश में बर्बाद हो सकता है। इसके बावजूद अधिकारी हरकत में नहीं आए। जबकि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार (Central Government) को कहा था कि सड़ रहे अनाज को गरीबों में बांट दिया जाना चाहिए। उधर धान की मिलिंग कर चावल (Rise) निकालने को लेकर सरकार और मिलर्स के बीच रेट पर सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में 30 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान की मिलिंग अटकी हुई है। प्रदेश से बाहर के मिलर्स से मिलिंग कराने के फैसले के बाद भी सफलता नहीं मिली है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को रेट (Rate) व अन्य मामलों के लिए कैबिनेट (Cabinet) की अनुमति का इंतजार है। बारिश शुरू होने से धान खराब होने की आशंका भी बढ़ गई है।

    ओपन केप रखी बोरियों में होने लगा अंकुरण
    शहडोल जिले की लालपुर हवाई पट्टी स्थित अस्थाई केप में 2020-21 में रखे धान को सहेज पाने में प्रशासन नाकाम रहा। यहां रखा करीब 10 हजार क्विंटल धान सड़ चुका है। नमी की अधिकता के कारण धान अंकुरित होकर बोरियों से बाहर आ गए हैं। एक साल में धान लगातार खराब होता रहा और अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। धान खराब होने की वजह नान के साथ फूड विभाग और वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन की लापरवाही को माना जा रहा है। खरीदी के समय ही अनेक स्थानों की धान भींग चुका था, जिसे नमी हालत में ही रखवा दिया गया।

    चबूतरे का निर्माणा नियमानुसार नहीं
    सूत्रों का कहना है कि ओपन केप में रखे धान का नान व फूड ने पड़ताल नहीं की। अस्थाई केप के लिए बनाए गए चबूतरे में नियमानुसार इलाहाबादी व फ्लाईऐश ईंटों का उपयोग होना चाहिए था, लेकिन जिस ठेकेदार को काम मिला। उसके द्वारा स्थानीय स्तर से गुणवत्ताहीन ईंट का उपयोग किया गया, जिससे नमी बोरियों में जाती रही। नान प्रबंधक राकेश चौधरी ने कहा, कुछ लॉट का धान खराब हुआ। जो भी नुकसान हुआ उसके लिए वेयर हाउस से वसूली की जाएगी।

    कटनी में मिलर्स ने खींचे हाथ
    उधर कटनी में वर्ष 2019-20 में किसानों से खरीदा गई 80 करोड़ रुपए की 3.28 लाख क्विंटल धान नान की लापरवाही के चलते बर्बाद हो गया। मझगवां बड़वारा, मझगवां फाटक एवं सलैया फाटक में रखी धान की मिलिंग से मिलर्स ने भी हाथ खींच लिए। जब मिलर्स ने मिलिंग से इनकार कर दिया, तब शासन ने खुले बाजार में बेचने टेंडर कॉल किए, लेकिन धान की दशा देखकर कोई आगे नहीं आया। नियमानुसार 3 माह के भीतर धान का उठाव कर लिया जाना था, लेकिन नान के तत्कालीन अधिकारियों ने ओपन केप की धान का ठीक से रखरखाव नहीं किया, जिससे बारिश में फसल बर्बाद हो गई।

    1800 का धान 2500 तक पहुंचा
    बताया गया है कि शासन ने उस समय समर्थन मूल्य पर 1800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा था। जबकि परिवहन, भंडारण, खरीदी का कमीशन एवं अन्य खर्च मिलाकर धान की कीमत 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच जाती है। ओपन केप मझगवां में 2 लाख 79 हजार क्विंटल, मझगवां फाटक ओपन केप में 13 हजार क्विंटल, सलैया फाटक ओपन केप में 36 हजार क्विंटल धान रखा है। वर्ष 2019-20 में खरीदी गई धान की नीलामी के लिए शासन ने दो बार टेंडर कॉल किए थे, लेकिन किसी ने रुचि नहीं ली। अब शासन स्तर से फिर से टेंडर जारी किए जाएंगे।

    क्वालिटी खराब, इतना संभव नहीं
    उधर धान की मिलिंग कर चावल निकालने को लेकर सरकार और मिलर्स के बीच रेट पर सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में 30 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान की मिलिंग अटकी हुई है। प्रदेश से बाहर के मिलर्स से मिलिंग कराने के फैसले के बाद भी सफलता नहीं मिली है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को रेट व अन्य मामलों के लिए कैबिनेट की अनुमति का इंतजार है। बारिश शुरू होने से धान खराब होने की आशंका भी बढ़ गई है। धान की क्वालिटी को लेकर मिलर्स और सरकार के बीच ठनी हुई है। सरकार धान से 67 प्रतिशत चावल लेती है अर्थात एक क्विंटल धान से 67 किलो चावल। वहीं, मिलर्स का कहना है कि यहां धान की क्वालिटी ऐसी नहीं है कि उससे इतना चावल निकाला जा सके। इसे लेकर मिलर्स ने सरकार से प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग की है।

    37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी
    वर्ष 2020-21 में कुल 37.26 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया। जबकि वर्ष 2017-18 में यह मात्रा केवल 16.60 मीट्रिक टन थी। धान की खरीदी बढऩे के साथ उसकी मिलिंग में भी दिक्कत आईं। अभी प्रदेश में कुल 804 मिलर्स हैं। वर्तमान में मिलिंग की अधिकतम क्षमता 35 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन है।

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