सेंट्रल ऑडिट टीम ने की जांच… अब जीरो वेस्ट पर दिया जोर
इंदौर। एक तरफ मरीजों की बढ़ती संख्या, दूसरी तरफ बेड, इंजेक्शन (Injection) के अलावा सबसे बड़ी दिक्कत ऑक्सीजन (Oxygen) की पड़ रही है। वहीं उसका दुरुपयोग भी बड़े पैमााने पर सामने आया। केन्द्र सरकार की ऑडिट टीम ने ही 60 से अधिक अस्पतालों (hospitals) में ऑक्सीजन की बर्बादी पकड़ी है, जहां पर शासन-प्रशासन द्वारा तय गाइडलाइन (guideline) से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन (Oxygen) दी जा रही है, जहां पर 127 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन (Oxygen) दी गई। जबकि निर्धारित मात्र 70.29 लीटर प्रति मिनट की है। कई अस्पतालों (hospitals) में तो 80 प्रतिशत तक ऑक्सीजन की बर्बादी मिली, जिसके चलते अब शासन-प्रशासन ने सभी अस्पताल संचालकों को कड़े निर्देश दिए हैं कि डॉक्टरों और मेडिकल कॉलेज द्वारा तय की गई गाइडलाइन (guideline) का ही अनिवार्य रूप से पालन किया जाए। संभागायुक्त ने भी जीरो वेस्ट ऑक्सीजन के निर्देश दिए हैं और सभी कलेक्टरों को भी कहा है कि ऑक्सीजन (Oxygen) लाइन के भौतिक सत्यापन, अनावश्यक लीकेज रोकने के लिए जो ऑक्सीजन प्रभारी और प्रत्येक मरीज के ऑडिट कराने के निर्देशों का पालन करवाएं।
अभी लगातार ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी इसलिए हो रही है, क्योंकि मरीजों की संख्या बढ़ गई और बड़ी संख्या में अधिक संक्रमित मरीज निकल रहे हैं। सिटी चैस्ट कराने के बाद जिन मरीजों में 40 फीसदी से अधिक इंफेक्शन पाया जा रहा है और जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है उन्हें ऑक्सीजन (Oxygen) देना पड़ रही है। शासन-प्रशासन लाख दावा करे कि मांग के अनुरूप ऑक्सीजन की सप्लाय हो रही है। जबकि हकीकत यह है कि कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने पर परिजनों को सिलेंडरों के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है और बीते 3-4 दिनों से कलेक्टर सहित अन्य अधिकारी रात तीन-तीन बजे तक जाकर अस्पतालों (hospitals) में ऑक्सीजन (Oxygen) सप्लाय जुटाने में लगे हैं। वहीं संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने भी जीरो वेस्ट ऑक्सीजन (Oxygen) और लीकेज रोकने के निर्देश दिए हैं। हर जिले में ऑक्सीजन प्रभारी भी नियुक्त किए गए हैं, जो नियमित मॉनिटरिंग करेंगे। जिन मरीजों की ऑक्सीजन डिमांड 10 लीटर से कम है उन्हें ऑक्सीजन (Oxygen) कन्सनट्रेटर के माध्यम से भी ऑक्सीजन दी जाएगी। अभी केन्द्र सरकार की टीम ने भी ऑक्सीजन (Oxygen) ऑडिट किया, जिसमें पता चला कि 60 से ज्यादा अस्पताल ऐसे हैं जहां पर तय की गई मात्रा से 80 फीसदी अधिक ऑक्सीजन सप्लाय कर डाली। इंदौर के ही अधिकांश निजी और सरकारी अस्पतालों (hospitals) में आईसीयू बेड तो भर चुके हैं, वहीं ऑक्सीजन बेड की भी कमी आ रही है। हर अस्पताल में एक बेड के पीछे 8 से 10 मरीजों की वेटिंग लिस्ट चल रही है। दूसरी तरफ शासन का दावा है कि मांग के अनुरूप ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है और कोई कमी नहीं है। 216 टन ऑक्सीजन की मांग कल थी और सप्लाय 261 टन करने का दावा किया गया है। वहीं गुजरात से भी जो ऑक्सीजन की सप्लाय रूकी थी, उसे फिर से बहाल भी कराया गया है।
कलेक्टर ने भी लगाई अस्पताल संचालकों को फटकार
कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) लगातार ऑक्सीजन (Oxygen) सप्लाय को बहाल कराने में ही जुटे हैं। कुछ अस्पतालों (hospitals) में समस्या आ रही है। लिहाजा देर रात तक व्यवस्थाएं भी कराई जा रही है। कलेक्टर मनीष सिंह ने कल सभी अस्पताल संचालकों को भी कड़ी फटकार लगाई और कहा कि ऑक्सीजन (Oxygen) की बर्बादी को भी रोका जाए, क्योंकि ऑडिट टीम ने भी कई अस्पतालों में लीकेज बर्बादी पकड़ी भी है। शहर के कई अस्पतालों में जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है उन्हें भर्ती करने से भी इनकार किया जा रहा है। हालांकि प्रशासन लगातार ऑक्सीजन के साथ-साथ बेड की संख्या बढ़ाने में भी जुटा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त खाद्य सुरक्षा पी. नरहरि का भी कहना है कि ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है।
फोन पर बात या टॉयलेट जाने पर भी नहीं बंद करते सप्लाय
अस्पतालों (hospitals) में भर्ती कोरोना के मरीज जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है वे खुद भी लापरवाही बरतते हैं। दरअसल, ऑक्सीजन (Oxygen) का मास्क फोन पर बात करते समय हटाना पड़ता है। चूंकि इन मरीजों के पास परिजनों से लेकर अन्य लोगों के मोबाइल फोन भी आते हैं तो उस दौरान ऑक्सीजन मास्क हटाकर 5-10 मिनट या उससे अधिक समय तक बात की जाती है। उसी तरह टायलेट जाते वक्त भी मास्क निकाल जाता है, लेकिन तब तक ऑक्सीजन (Oxygen) फिजुल में ही बर्बाद होती रहती है। जबकि मरीज के बैड के पास ही ऑक्सीजन (Oxygen) सप्लाय बंद करने का नॉब रहता है, जो फोन पर बात करते, खाना खाते या टायलेट जाते वक्त जब मास्क निकाल दिया हो तब नॉब को बंद कर सप्लाय रोकी जा सकती है।
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