20 हजार की मशीन अब चार गुना महंगे दामों पर भी उपलब्ध नहीं… फेबीफ्लू सहित अन्य दवाइयों का भी यही हाल
इंदौर। विपदा की इस घड़ी में जहां अधिकांश लोग पीडि़तों की मदद में जुटे हैं, दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मुनाफाखोरी (Profiteering) से बाज नहीं आ रहे। ऑक्सीजन सिलेंडर, इंजेक्शनों के साथ-साथ दवाइयों की कालाबाजारी तो कर ही रहे हैं वहीं ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर (Oxygen concentrator) से लेकर अन्य मशीनों के भी दाम 4 से 5 गुना तक वसूल रहे हैं। चारों तरफ लूट मची है, लेकिन हताश-परेशान परिजनों के सामने इस लूट का शिकार होने के अलावा कोई चारा भी नहीं है। 20-22 हजार रुपए की कन्सनट्रेटर मशीन चार गुना से अधिक महंगे दामों पर बेची जा रही है और वह भी आसानी से उपलब्ध नहीं है।
पूरे देश में ऑक्सीजन, इंजेक्शन से लेकर आवश्यक दवाइयों का तो टोटा पड़ा ही है, वहीं लूट भी कम नहीं है। इंदौर में ही पिछले कई दिनों से इंजेक्शनों की कालाबाजारी से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडरों की लूट चल रही है। हालांकि इनकी संख्या कम ही है और डेढ से दो हजार रुपए होल सेल कीमत पर मिलने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) 40 से 50 हजार रुपए तक बेचा गया। हालांकि कुछ लोग गिरफ्तार भी हुए, जिन पर रासुका की कार्रवाई कलेक्टर ने की। यही स्थिति फेबीफ्लू ( febiflu) से लेकर अन्य आवश्यक दवाइयों-इंजेक्शनों की है। दवा बाजार से लेकर शहर के जितने भी बड़े विक्रेता हैं, सभी के पास मारामारी है और दूसरी तरफ पहले तो परिजन बेड की तलाश में भटकते हैं। जैसे-तेसे उसकी व्यवस्था करने के बाद फिर ऑक्सीजन-इंजेक्शन व अन्य दवाइयों की जुगाड़ में लगते हैं। शासन-प्रशासन लाख दावे करे कि इंजेक्शनों की सप्लाय बढ़ रही है। मगर अभी भी जितने इंजेक्शन चाहिए उसकी तुलना में 10 फीसदी भी सप्लाय नहीं हो रही है। बाजार से सभी तरह की मशीनें गायब है। ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर (Oxygen concentrator) लोग बड़ी संख्या में खरीद रहे हैं, ताकि अपने परिजनों को घर पर ही ऑक्सीजन दी जा सके। वहीं तमाम समाजों-दानदाताओं द्वारा भी ये मशीनें खरीदकर अस्पतालों और अन्य संस्थाओं को भेंट की जा रही है, जिसके चलते ये मशीनें ही बाजार से गायब हो गई और अब हफ्तेभर की अग्रिम बुकिंग पर मिल रही है।
विदेशों से टोसी इंजेक्शन मंगवाने को भी परिजन तैयार
टोसिलिजुमैब इंजेक्शन (Tosilizumab Injection) तो लगभग अदृश्य ही पिछले 15 दिनों से हो गया है। 40 से 42 हजार रुपए की कीमत वाले इस इंजेक्शन के लिए दो लाख या उससे भी अधिक लोग चुकाने को तैयार हैं, जिनके परिजन गंभीर स्थिति में आईसीयू या वेंटीलेटर पर संघर्ष कर रहे हैं। कुछ सक्षम परिवार विदेशों से भी इस इंजेक्शन (Injection) को बुलवाने को तैयार हैं। इसके लिए शासन-प्रशासन से मदद मांगी है, क्योंकि कोल्ड चैन से लेकर अन्य कागजी खानापूर्ति भी करना पड़ती है। दुबई में ही यह इंजेक्शन भारतीय मुद्रा में लगभग 1 लाख रुपए का मिल रहा है और कई लोग मंगवाने को तैयार भी हैं, मगर लाने की व्यवस्था शासन-प्रशासन को करवानी होगी।
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