ऑक्सीजन लाइन चेक करने और सुपरवाइजर रखने का सुझाव
इंदौर। शहर में ऑक्सीजन (Oxygen) की किल्लत आने का एक प्रमुख कारण अस्पतालों में ऑक्सीजन की बर्बादी के रूप में भी सामने आया है। इसको लेकर अब अस्पताल को ऑक्सीजन (Oxygen) का ऑडिट करने के लिए कहा गया है, ताकि इसे वेस्टेज होने से रोका जा सके। अरबिन्दो अस्पताल Aurobindo Hospital ने पहल कर 30 प्रतिशत तक ऑक्सीजन (Oxygen) बचाना भी शुरू कर दी है। आईएमए ने सुझाव दिया है कि अस्पताल में एक सुपरवाइजर की नियुक्ति भी की जाए।
शहर में लगभग हर अस्पताल में कोविड-19 के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। गंभीर मरीजों को आईसीयू तो सांस लेने में तकलीफ के कारण ऑक्सीजन (Oxygen) लगाना पड़ रही है। इसलिए शहर में ऑक्सीजन की कमी पडऩे लगी है। देखने में आया है कि अधिकांश अस्पतालों में ऑक्सीजन लगाने में गड़बड़ी होने और पाइप लाइन लीकेज होने के कारण ऑक्सीजन की खपत बढ़ रही है। कई बार जिन मरीजों को ऑक्सीजन (Oxygen) लगी होती है वे ऑक्सीजन निकालकर इधर-उधर टहलने लगते हैं और उसका नॉब तक बंद नहीं करते हैं, इसमें भी ऑक्सीजन वेस्टेज हो जाती है। इनसे बचने के लिए अब अस्पतालों को ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए कहा गया है, ताकि जितनी ऑक्सीजन उन्हें उपलब्ध हो, उसका पूरा उपयोग किया जा सके। अरविन्दो अस्पताल Aurobindo Hospital के डॉ. विनोद भंडारी ने बताया कि उन्होंने 30 प्रतिशत ऑक्सीजन बचाने पर भी काम शुरू कर दिया है। अस्पताल के ऑक्सीजन वार्ड में सुपरवाइजर (Supervisor) और नर्सिंग स्टॉफ (Nursing Staff) को इसकी जवाबदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि कई अस्पतालों में तो ऑक्सीजन का लेवल भी पूरा खोल दिया जाता है, जबकि मरीज को इसकी कम जरूरत पड़ती है, इससे भी ऑक्सीजन वेस्ट हो जाती है। कई अस्पतालों में बॉटले से ऑक्सीजन की सप्लाई होती है, लेकिन कई बार मरीज की ऑक्सीजन निकालने के बाद उसका वॉल्व थोड़ा भी खुला रह जाता है और उसमें से ऑक्सीजन रिसते रहती है।
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