नकली बिलों आदि की मदद से सरकार को जीएसटी राजस्व का चूना लगाने वाले माफियाओं के खिलाफ एक महीने से चल रहे अभियान में एक और बड़ी सफलता मिली है।
जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की मुंबई टीम ने एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को गिरफ्तार किया है, जो 50 फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार से जीएसटी चोरी कराने का रैकेट चला रहा था। नवंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हुए इस अभियान में गिरफ्तार होने वाला यह पांचवां चार्टर्ड अकाउंटेंट है।
राजस्व विभाग के सूत्रों के मुताबिक, डीजीजीआई के मुंबई वेस्ट कमिश्नरेट जोन की टीम ने चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्रप्रकाश पांडेय को गिरफ्तार किया है। पांडेय अपनी कंपनी मैसर्स सीपी पांडेय एंड एसोसिएटस के जरिये सर्कुलर ट्रेडिंग का काम कर रहा था।
इसके लिए उसने अपने और अपने परिजनों के नाम पर एक ही पते पर 50 नकली कंपनियां बना रखी हैं, जो कोई सामान यहां से वहां सप्लाई किए बिना ही फर्जी बिल जारी कर देता था, जिससे उसका क्लाइंट सरकार के पास इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लिए दावा करते हुए पैसा कमा लेता था।
सूत्रों का कहना है कि अभी तक अपनी फर्जी कंपनियों के जरिये चंद्रप्रकाश पांडेय करीब 10.60 करोड़ रुपये का आईटीसी सरकार से वसूल चुका था। सूत्रों का कहना है कि पांडेय की मदद से इस तरह नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिये बहुत सारी कंपनियां अपने टर्नओवर में इजाफा दिखाकर बैंकों से कर्ज लेने में सफल रही हैं।
इससे पहले एक महीने से चल रहे इस अभियान के दौरान डीजीजीआई ऐसा ही फर्जीवाड़ा कर रहे लुधियाना के चार्टर्ड अकाउंटेंट अंकुर गर्ग, हैदराबाद के पीवीवी सत्यनारायण और बोंदालापति श्रीनिवास राव और विशाखापत्तनम के अक्षय जैन को गिरफ्तार कर चुकी है।
फर्जी बिलों से जीएसटी चुराने वाले 140 दबोचे
जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने करीब एक महीने लंबे अभियान में फर्जी बिल बनाने वाले 140 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया और 1488 मामले दर्ज किए। सूत्रों के मुताबिक, नवंबर के दूसरे सप्ताह से चलाए गए अभियान के दौरान 4839 फर्जी कंपनियों की भी पहचान की गई है, जिनके जरिये जीएसटी चोरी को अंजाम दिया जा रहा था।
लुधियाना-जालंधर के ट्रांसपोर्टर और दिल्ली की कंपनियां रडार पर
सूत्रों ने बताया कि अब भी डीजीजीआई के रडार पर दिल्ली और हिमाचल की कुछ कंपनियां हैं, जिनके खिलाफ अपने सामान की कम कीमत दिखाने और लुधियाना व जालंधर के ट्रांसपोर्टरों के जरिये भेजने के मामले में जांच की जा रही है।
डीजीजीआई टीमों के लुधियाना, दिल्ली, हिमाचल और जालंधर में मारे गए छापे और सर्वे में बहुत सारा ऐसा सामान भी जब्त किया गया है, जिसका कोई लिखित ब्योरा नहीं मिला है।
सूत्रों का कहना है कि लुधियाना की गोल्डन ट्रांसपोर्ट सर्विस और जालंधर की एमएनके ट्रांसपोर्ट कंपनी को सामान का कम वजन और कम कीमत दिखाने के मामले में सबसे आगे पाया गया है। गोल्डन ट्रांसपोर्ट के यहां छापे में विभिन्न प्रकार का ऐसा सामान बरामद भी हुआ, जिसे जब्त कर लिया गया।
प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि सामान की कीमत 20 से 30 फीसदी कम दिखाकर ई-वे बिल काटे जा रहे हैं। ऐसे सामानों में ज्यादातर जूते-चप्पल, प्लास्टिक स्लीपर्स, तंबाकू, शेविंग फोम आदि शामिल हैं।
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