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    उल्लू की जान पर मंडराया खतरा, चंबल घाटी में रेड अलर्ट, जानें क्या है मामला

  • November 01, 2021

    इटावा: धन की देवी लक्ष्मी के वाहन के रूप में माने जाने वाले उल्लू को लेकर उत्तर प्रदेश की इटावा स्थित चंबल घाटी में विशेष सर्तकता बरती जा रही है. यह सर्तकता दीपावली पर्व पर उल्लुओं को बलि से बचाने के लिए बरती जा रही है. इटावा स्थित समाजिक वानिकी के उप प्रभागीय निदेशक संजय सिंह ने बताया कि दुलर्भ प्रजाति के उल्लुओं का शिकार करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

    विलुप्त हो रहे पक्षी के संरक्षण को लेकर शासन ने कड़ा कदम उठाया है. मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव ने अफसरों को उल्लू का शिकार वाले शिकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि सामाजिक कुरीतियों, भ्रांतियां और तंत्र-मंत्र सिद्ध करने के लिए दिवाली के आसपास बड़े पैमाने में उल्लू का शिकार किया जाता है.

    इससे उल्लू प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है. इस पक्षी के रात में निकलने के कारण स्पष्ट गणना नहीं है. यह बेहद कम दिखाई पड़ते हैं. उन्होंने बताया कि पक्षी का शिकार या व्यापार करते पकड़े जाने पर आरोपित को वन्य जीव अधिनियम की धारा-51 के तहत छह माह की जेल और कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है.


    उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार वर्मा ने डीएम, एसपी, डीएफओ को जारी पत्र में कहा है कि एनजीओ, पुलिस व कर्मचारियों के माध्यम से पक्षी को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियों को दूर किया जाना जरूरी है. हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उल्लू देवी लक्ष्मी के वाहन के रूप में समृद्धि एवं सौभाग्य का सूचक है. बड़ी संख्या में लोग इस पक्षी को पूजते हैं, वहीं तांत्रिक क्रियाओं में उपयोग में लाए जाने की परंपरा के कारण इसका शिकार, व्यापार किया जाता है.

    चंबल सेंचुरी क्षेत्र में यूरेशियन आउल अथवा ग्रेट होंड आउल तथा ब्राउन फिश आउल संरक्षित घोषित हैं. इसके अलावा भी कुछ ऐसी प्रजातियां है जिन्हें पकड़ने पर प्रतिबंध है. चंबल सेंचुरी क्षेत्र में इनकी खासी संख्या है, क्योंकि इस प्रजाति के उल्लू चंबल किनारे स्थित करारों में घोंसला बनाकर रहते हैं. इस प्रकार की करारों की सेंचुरी क्षेत्र में कमी नहीं है. अभी तक इस बात का कोई अध्ययन भी नहीं किया गया कि आखिर चंबल में उल्लुओं की वास्तविक तादात क्या है.

    अधिक संपन्न होने के चक्कर मे लोग दुर्लभ प्रजाति के उल्लुओं की बलि चढ़ाने मे जुट गए हैं. यह बलि सिर्फ दीपावली की रात को ही पूजा अर्चना के दौरान दी जाती है. दीपावली नजदीक आते ही तंत्र साधनाओं का जोर बढ़ रहा है. दीपावली के मौके पर होने वाली तंत्र साधनाओं में उल्लू की बलि देने की भ्रांतियां हैं. उल्लुओं की इस बलि प्रथा के कारण चंबल के उल्लूओं पर संकट के बादल गहराने लगे हैं.

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