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    ओवैसी की पार्टी को INDIA गठबंधन में चाहिए एंट्री! अस्तित्व का संकट या भविष्य पर नजर?

  • August 21, 2024

    नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में हैदराबाद से बाहर बुरी तरह हारने के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम Asaduddin Owaisi’s party AIMIM() का रुख और रवैया बदला-बदला सा नजर आ रहा है. एआईएमआईएम अब विपक्ष के साथ राजनीति करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है. महाराष्ट्र में पार्टी ने खुद को इंडिया गठबंधन में शामिल करने की मांग की है. सोमवार को मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व सांसद और पार्टी के महाराष्ट्र प्रमुख इम्तियाज जलील ने कहा- हम इंडिया गठबंधन के साथ रहकर बीजेपी से लड़ना चाहते हैं, लेकिन साथ लेने को लेकर वहां से कोई सकरात्मक जवाब नहीं आया है.

    जलील के इस बयान के बाद सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस-बीजेपी से बराबर की दूरी बनाकर रखने वाली ओवैसी की पार्टी आखिर इंडिया में शामिल क्यों होना चाहती है? 2019 के लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को एक और विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. पार्टी के उम्मीदवारों ने धुले, नासिक और औरंगाबाद में मजबूत मुकाबला किया था.

    हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के परफॉर्मेंस में गिरावट आई. 2019 में पार्टी ने जिस औरंगाबाद सीट पर जीती थी, वहां इस बार पार्टी के उम्मीदवार को 1 लाख 34 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को इसी तरह के रिजल्ट आने की आशंका है, इसलिए पार्टी चुनाव से पहले गठबंधन करने की कोशिशों में जुटी हुई है. 2019 में महाराष्ट्र और 2020 में बिहार में शानदार प्रदर्शन करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी पूरे देश में पार्टी के विस्तार में जुट गए. उन्होंने पहली कोशिश बंगाल में की, लेकिन वहां पर ममता ने उनका खेल खराब कर दिया. यूपी में भी ओवैसी को झटका ही लगा.


    राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी ओवैसी अपनी पार्टी में जान फूंकने की कवायद में लगे, लेकिन उन्हें यहां भी सफलता नहीं मिली. ओवैसी की कोशिशों के परवान नहीं चढ़ पाने की बड़ी वजह मुसलमानों का वोटिंग पैटर्न है. ओवैसी मुसलमानों की राजनीति ही करते हैं. हालिया चुनाव में देखा गया है कि मुसलमान एकजुट होकर उन दलों को वोट कर रहे हैं, जो राज्य में बीजेपी को हरा पाने में सक्षम हैं. ओवैसी की पार्टी इसमें मात खा जा रही है. यही वजह है कि हैदराबाद के बाहर एआईएमआईएम के विस्तार पर ब्रेक लग गया है.

    सीएसडीएस के मुताबिक हालिया लोकसभा चुनाव में 76 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने इंडिया गठबंधन को वोट दिए. यह अब तक रिकॉर्ड है. यूपी, बिहार और असम जैसे राज्यों में इंडिया गठबंधन की वजह से मुसलमानों की राजनीति करने वाली पार्टियां बुरी तरह चुनाव हार गई. उदाहरण के लिए असम के बदरुद्दीन अजमल मुसलमानों के बड़े नेता माने जाते हैं. कई बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं, लेकिन इस बार धुबरी सीट से 10 लाख से ज्यादा वोट से चुनाव हार गए.

    ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की स्थापना साल 1927 में हुई थी. उस वक्त इस पार्टी का नाम मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन था. इसके संस्थापक नवाब महमूद नवाज खान किलेदार थे. बाद में इस पार्टी की कमान सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी के हाथों में आ गई. सलाहुद्दीन से पार्टी की कमान उनके बेटे असदुद्दीन ओवैसी को मिली. ओवैसी अभी हैदराबाद से सांसद हैं और पार्टी के मुखिया भी. 2014 से पहले पार्टी लोकसभा की सिर्फ एक सीटों पर लड़ती थी, लेकिन 2014 में पार्टी ने 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. 2019 में ओवैसी की पार्टी ने 3 और 2024 में 14 कैंडिडेट देशभर में उतारे.

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