इंदौर। श्वानों पर नियंत्रण के लिए इंदौर में काम कर रही दोनों एजेंसियों ने नसबंदी का काम बंद कर दिया है। एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) के लिए काम कर रही दोनों एजेंसी के जिम्मेदारों का कहना है कि नगर निगम से हमें भुगतान नहीं मिल रहा है। इस वजह से हम काम नहीं कर पा रहे हैं। पीएफए ने इस संबंध में महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगर निगम के एनिमल बर्थ कंट्रोल अधिकारी डॉ उत्तम यादव से चर्चा की है। आवारा श्वानों के कारण आमजन के परेशान होने की खबरें शहर के कई क्षेत्रों से लगातार आ रही हैं। ऐसे में एक बार फिर पिछले 15 दिन से एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) के लिए काम कर रही दोनों एजेंसी ने अपना काम बंद कर दिया है। एजेंसी का कहना है कि नगर निगम पर करोड़ों बकाया है। ऐसे में वे कैसे काम कर सकते हैं। एजेंसी भी अपना बकाया न मिलने के कारण डॉक्टर और अपने साथ काम करने वालों को भुगतान नहीं कर पा रही है, जिस कारण परेशानी आ रही है।
पीएफए के लिए काम करने वालों के अनुसार, इससे पहले भी 15 दिन एजेंसी ने काम नहीं किया था, जिससे शहर के कई इलाकों से शिकायतें मिली थीं कि श्वानों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। अब एक बार फिर शिकायत मिलने पर पिपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) के लिए शहर में काम कर रही प्रियांशु जैन ने एनिमल बर्थ कंट्रोल अधिकारी डॉ उत्तम यादव से चर्चा की है कि वह इसका हल निकालें। वहीं, मेनका गांधी के ऑफिस से मीनाक्षी अवस्थी ने सीधे महापौर पुष्यमित्र भार्गव से इस संबंध में चर्चा की है। प्रियांशु जैन ने बताया कि भुगतान नहीं होने के कारण लगातार दो बार ऐसा हुआ है, जब एजेंसी ने अपना काम बंद किया है। ऐसे में श्वानों की नसबंदी नहीं होने के कारण प्रजनन बढ़ेगा और शहर से लगातार शिकायतें भी मिलेंगी। फिलहाल हमने मौखिक रूप से अपनी बात रखी है।
2 एजेंसी करती है काम
शहर में अनुमानित 2 लाख से अधिक श्वान हैं, जिसके लिए 2 एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) एजेंसी काम करती हैं। एक ट्रेंचिंग ग्राउंड एरिया (वीएसडब्ल्यूएआरडी) और दूसरी जीपीओ (रेडिक्स सोसायटी) में काम करती है। इन्हें एनजीओ संचालित कर रहे हैं। ये एबीसी सेंटर शिकायत मिलने पर संबंधित क्षेत्र से श्वान को पकडक़र सेंटर पर लाते हैं और नसबंदी के बाद वापस उसी स्थान पर छोड़ते हैं।
कई कॉलोनी, मोहल्ले, सोसायटी में परेशानी
कई इलाकों में बढ़ते श्वानोंं के कारण लोगों को परेशानी उठाना पड़ रही है। कई कॉलोनी, मोहल्ले और सोसाइटी में इतनी बड़ी संख्या में श्वान हो गए हैं कि वह गाड़ी से जाने वाले लोगों के पीछे तो भागते ही हैं, पैदल चलने वालों को भी परेशान कर रहे हैं। कई बार वाहन चालक डर जाते हैं और घबराकर वाहन सहित गिर पड़ते हैं।
‘‘हां, 15 नहीं, पिछले 8 दिन से काम बंद है, लेकिन इमरजेंसी के सारे काम हो रहे हैं। भुगतान न होने की बात सही है, लेकिन जल्दी ही भुगतान संबंधी समस्या का हल निकालकर काम शुरू करवा रहे हैं। इस संबंध में चर्चा कर रहे हैं।’’
– डॉ उत्तम यादव, एनिमल बर्थ कंट्रोल अधिकारी
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