पटना । आमतौर पर राजद के खिलाफ (Against RJD) मुखर रहने वाली (Outspoken) पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने पूर्व रेल मंत्री (Former Railway Minister) लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और उनके संबंधियों (Relatives) के 16 ठिकानों पर (On 16 Places) सीबीआई की छापेमारी के बाद (After the CBI Raid) से चुप्पी साध ली है (Have Kept Silent)। इस मसले पर पार्टी का कोई भी नेता खुलकर बात करने को तैयार नहीं है।
इसे लेकर राज्य की सियासत में अब इसके मायने तलाशे जाने लगे हैं। पिछली बार जब लालू प्रसाद परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, तब जदयू ने तेजस्वी से सफाई मांगी थी और विपक्षी दल के महागठबंधन से वापस हो गई थी। भ्रष्टाचार पर सार्वजनिक मंचों से ‘कफन में जेब नहीं होता ‘ की बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मामले को लेकर चुप हैं। रविवार की जब इस मामले में उनसे पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा, इसके बारे में मुझे क्या पता। हमलोग क्या बताएंगे। जो कर रहा, वही बताएगा।
इसके पहले जदयू के नेता और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने यह कहा था कि सीबीआई को कुछ सबूत मिला होगा, तभी छापेमारी की गई होगी। राजद को लेकर मुखर रहे पूर्व मंत्री एवं जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जदयू इसमें क्या बोलेगा? सीबीआई ने छापेमारी की है, जब पूरा मामला सामने आए तभी तो कुछ कहा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राजद इस छापेमारी को राजनीति से जोड़ रहा है। राजद के विधायक मुकेश रौशन ने कहा हैं कि राजद नेता तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री की बढ़ती नजदीकियों से भाजपा असहज थी, जिस कारण भाजपा ने सीबीआई का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि आखिर इतने पुराने मामले की याद अब क्यों आई।
राजद के इस बयान को हाल की घटनाओं से जोड़ा भी जा रहा है। जातीय जनगणना का मामला हो या विशेष राज्य का मुद्दा जदयू और राजद साथ नजर आए हैं। जातीय जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी मुख्यमंत्री से बंद कमरे में एक घंटे तक बात भी कर चुके हैं। ऐसे में जदयू और राजद के नेताओं के बयानों को नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व राजद नेता लालू प्रसाद और इनके संबंधियों के 16 ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की थी। कहा जाता है कि यह छापेमारी लालू के रेल मंत्री रहते जमीन लेकर रेलवे में नौकरी देने के मामले में किए गए थे।
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