उज्जैन। शहर की सफाई व्यवस्था में लगे अस्थायी सफाईकर्मियों को जमादार/दरोगा के पद पर पदोन्नत करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस संबंध में जो आरोप लगे हैं, वे रिश्वतखोरी के हैं। वहीं उपायुक्त इन आरोपों का खण्डन किया है। वहीं स्थायी सफाई कर्मचारियों में आक्रोश है और वे अंदर ही अंदर छटपटा रहे हैं। उनका कहना है कि वे अपनी बात निगमायुक्त तक पहुंचा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
जानकारी के अनुसार नगर निगम में सफाईकर्मियों की स्थायी और अस्थायी पदस्थाना। स्थायी सफाई कर्मचारी वर्षो से काम कर रहे हैं, लेकिन उनका आरोप है कि वे आज भी सफाईकर्मी ही है,क्योंकि रिश्वत नहीं देने के कारण उनको जमादार/दरोगा नहीं बनाया जाता है। उनके अनुसार अस्थायी कर्मचारी जोकि उनके साथ काम करते थे,अब जमादार/दरोगा हो गए हैं। ये उन पर हुक्म चलाते हैं। उन्हे इन पदों पर मौका दिया जाना था, लेकिन बड़े अधिकारियों की मनमानी के कारण वे आज भी केवल कर्मचारी ही हैं,जबकि उनकी नौकरी 25 से 30 वर्ष की होने आई है।
इस संबंध में शहर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रवि राय ने बड़ा आरोप लगाया हैं कि निगम में बैठे अधिकारियों द्वारा रिश्वतखोरी करके अस्थायी कर्मचारियों को जमादार/दरोगा बना दिया गया है, जबकि स्थायी कर्मचारियों का यह हक रहता है। इस बारे में वे पूर्व में भी उपायुक्त सह स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी संजेश गुप्ता को अवगत करवा चुके हैं,लेकिन वे जांच के लिए भी हामी नहीं भरते हैं।
वहीं उपायुक्त सह प्रभारी संजेश गुप्ता का कहना है कि मैंने कोई रिश्वत नहीं ली। जो भी निर्देश दिए-निगमायुक्त ने दिए। निगमायुक्त के आदेश पर ही मैंने पदस्थी की। जो अस्थायी सफाई कर्मचारी जमादार/दरोगा बने, उनके निर्देश भी निगमायुक्त ने ही दिए। मैंने कुछ नहीं किया है। श्री गुप्ता ने हिंदुस्थान समाचार को चर्चा में बताया कि ऐसी पदस्थियां हुई है। साथ ही खुलासा किया कि करीब 50 ऐसे और आवेदन उनके पास लंबित रखे हुए हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved