नई दिल्ली: भारी बारिश के बाद अमेरिकी शहर न्यूयार्क पानी-पानी हो गया. सड़कों से लेकर एयरपोर्ट, मेट्रो स्टेशन तक जलमग्न हो गए. बेसमेंट, अंडरपास की ओर जाने की कोई सोच भी नहीं सकता. शहर में इमरजेंसी की घोषणा करनी पड़ी. न्यूयॉर्क गवर्नर को चेतावनी जारी करनी पड़ी कि लोग अपना ध्यान रखें. घरों से कम से कम निकलें. सुरक्षा का ध्यान रखें. सरकारी मशीनरी जल्दी से जल्दी शहर को सामान्य करने में जुटी हुई है, पर इसमें समय लगेगा.
दुनिया का ताकतवर और विकसित देश अमेरिका तथा वहां का अत्याधुनिक शहर न्यूयार्क की यह दुर्दशा दुनिया में चर्चा का विषय है. विकाशसील, अविकसित छोटे-छोटे देशों में जब यह स्थिति आती है तो माना जाता है कि जरूरी इंफ्रा नहीं है. सीवेज सिस्टम का अभाव है. ड्रेनेज के पर्याप्त इंतजाम नहीं है. पर, यहां तो सब कुछ है फिर भी यह दशा क्यों है?
जानिए न्यूयार्क में आई तबाही की 5 बड़ी वजह
- पुराने संसाधन और 2 इंच की बारिश : हर शहर की अपनी तय क्षमता है. न्यूयाॅर्क शहर के पास बेहद अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं लेकिन ये पुराने पड़ चुके हैं. यह शहर अधिकतम 1.75 इंच प्रति घंटे तक की बारिश संभाल सकता है लेकिन इस बार बारिश हुई 2 इंच प्रति घंटा से ज्यादा. इस तरह एक बार पानी ओवर फ़्लो हुआ तो फिर वह निकल नहीं पा रहा था और बारिश लगातार हो रही थी. नतीजा यह हुआ कि पहले बेसमेंट, अंडर पास भरे फिर सड़कें बाढ़ जैसी हो गईं और एयरपोर्ट, मेट्रो तक बंद करने पड़े. क्योंकि चारों ओर पानी-पानी ही था और घंटे-दो घंटे में इसके निकलने की दूर दूर तक संभावना नहीं थी.
- पानी ओवरफ्लो हुआ, एसटीपी काम करना बंद किया : न्यूयाॅर्क शहर में लगभग साढ़े सात हजार मील पाइप का जाल बिछा है, जिसके जरिए शहर का सीवेज और गंदा पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक जाता है. वहां से पानी को कुछ नहरों के जरिए नदियों को भेजने की व्यवस्था है. अत्यधिक बारिश से यह पूरा पाइप लाइन का जाल ओवर फ़्लो हो गया. उधर एसटीपी ने भी काम करना बंद कर दिया क्योंकि वहां से छोड़े जाने वाले पानी के लिए बनी नहर भी ओवर फ़्लो थी. ऐसे में पानी जहां का तहां ठहर सा गया. और यह एक ऐसी समस्या है कि तुरंत कुछ खास नहीं किया जा सकता क्योंकि सभी पाइप जमीन के नीचे हैं.
- नदी-नाले, नहरें बैक फ्लो मोड में आए : एक और बड़ी मुश्किल यह आई कि जल निकासी के सभी रास्ते बंद हो गए और नाली-नाले से लेकर नहरें तक बैक फ़्लो मारने लगे. यह वह अवस्था है जहां पानी निकास के द्वार पर भी ज्यादा पानी भरा है और पानी के पाइप में भी. नाली-नाले भी जलमग्न हैं. ऐसे में सब गड्ड-मड्ड होकर शहर को ही पानी-पानी कर रहे हैं. सभी निचले इलाकों में पानी पहले भरा और बाद में ऊपरी इलाके भी चपेट में आ गए. दिल्ली में इस साल यमुना के पानी में मामूली वृद्धि से मची तबाही के जरिए आसानी से न्यूयार्क की समस्या को समझा जा सकता है.
- इडा तूफान से नहीं लिया सबक : साल 2021 के सितंबर महीने में भी इस शहर को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था. तब तूफान इडा को दोषी माना गया लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उस घटना से कुछ खास सबक नहीं लिया. कुछ रिपोर्ट्स बनी लेकिन उस पर एक्शन नहीं हो पाया क्योंकि माना गया कि तूफ़ानी बारिश नहीं होती तो यह दिक्कत नहीं आती. शहर का जन-जीवन अस्त-व्यस्त नहीं होता. लेकिन तूफान के जाने और शहर के सामान्य होने के बाद कोई अतिरिक्त उपाय नहीं किये गए.
- मर्ज मालूम लेकिन नहीं हुआ इलाज : इडा तूफान के बाद न्यूयाॅर्क शहरी प्रशासन ने एक रिपोर्ट जरूर तैयार की थी. उसके मुताबिक शहर के जल निकासी सिस्टम को नए सिरे से ठीक करने की आवश्यकता पर बल दिया गया था. चेतावनी यह भी दी गई थी कि इसे दुरुस्त करने में कई दशक लग सकते हैं. यह महीने दो महीने का काम नहीं है. इसकी अनुमानित लागत सौ बिलियन डॉलर बताई गई थी. स्वाभाविक है कि फंड अरेंज करने में समय लगता है, यहां भी फाइल चल ही रही होगी.
अमेरिकी साइंटिस्ट ने माना है कि शहरी इंफ्रा तो अपग्रेड करना ही होगा, हमें जलवायु परिवर्तन के साथ भी तालमेल बैठाना होगा. और यह काम पूरी दुनिया को मिलकर करना होगा. अगर हम ऐसा नहीं कर सके तो ऐसी आपदा के लिए तैयार रहना होगा. यह आज से ज्यादा खतरनाक रूप में हमारे सामने आ सकती है. यह चेतावनी है मानव जाति के लिए. अब भी न संभले तो देर हो जाएगी. इसमें सरकारें, स्थानीय प्रशासन तथा आमजन की भी भूमिका होगी.