नई दिल्ली: चीन के शेयर बाजार पिछले कुछ सालों से दबाव का सामना कर रहे हैं. सरकारी दखल के बाद भी बाजार को संभालना संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में चीन की सरकार ने अब विदेशी निवेशकों समेत सभी संस्थागत निवेशकों पर पाबंदियां लगा दी हैं. इसे अब तक का सबसे कठोर कदम बताया जा रहा है.
बाजार को संभालने के हो रहे उपाय
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सरकार 8.6 ट्रिलियन डॉलर वाले अपने शेयर बाजार को बचाने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है. इसके लिए कठोरतम कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटा जा रह है. इस कड़ी में अब चीन में लगभग सभी प्रमुख संस्थागत निवेशकों के ऊपर कारोबारी दिन की शुरुआत या समाप्ति के समय होल्डिंग बेचने से रोक लगा दी गई है. संस्थागत निवेशकों में एफपीआई और डीआईआई शामिल होते हैं.
नियामक ने बनाया ये टास्क फोर्स
चीन के बाजार नियामक चाइना सिक्योरिटीज रेगुलेटरी कमिशन ने इस बारे में एक आदेश जारी किया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि नियामक ने प्रमुख एसेट मैनेजर्स और ब्रोकर्स के प्रोपराइटरी ट्रेडिंग डेस्क को ऑर्डर भेजकर अमल करने के लिए कहा है. नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों के साथ मिलकर एक टास्क फोर्स भी बनाया है, जिसे शॉर्ट सेलिंग की निगरानी करने और इस तरह से मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को नोटिस भेजने का काम सौंपा गया है.
चीन के बाजार पर मंदी हावी
दरअसल बाजार के लिए ओपनिंग और क्लोजिंग दोनों महत्वपूर्ण समय होते हैं, जिनसे पूरी रूपरेखा निर्धारित होती है. बीते कुछ समय से चीन के बाजार में ऐसा देखा जा रहा है कि आम तौर पर बड़े निवेशक (संस्थागत निवेशक) ओपनिंग और क्लोजिंग के समय में खरीदे गए शेयरों से ज्यादा शेयरों की बिक्री कर मुनाफावसूली कर रहे हैं. इससे बाजार में मंदी हावी है.
विदेशी निवेशकों पर इस तरह होगा असर
सरकार के ताजे एक्शन के बाद संस्थागत निवेशकों के लिए खरीदे गए शेयरों से ज्यादा शेयरों की बिक्री संभव नहीं होगी, क्योंकि अब वे ओपनिंग या क्लोजिंग के समय के आधे-आधे घंटे के दौरान नेट सेलर नहीं बन सकते हैं. ऐसे में चीन के सरकारी फंड के पास बाजार की दिशा निर्धारित करने का मौका रहेगा. इस पाबंदी से ज्यादा असर विदेशी निवेशकों पर ही होगा, क्योंकि चीन के घरेलू संस्थागत निवेशकों में ज्यादातर गवर्नमेंट सपोर्टेड फंड हैं.
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