इंदौर। कई गृह निर्माण संस्थाओं की करोड़ों की जमीनों को हड़पने वाले चर्चित भूमाफिया और जालसाज दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक जैन मद्दा के चंगुल में फंसी एक और संस्था की 250 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन सरकारी घोषित करवाने का महत्वपूर्ण आदेश कलेक्टर मनीष सिंह ने जारी किया है। प्रमुख सचिव राजस्व विभाग भोपाल को भेजे पत्र में सिलसिलेवार इस जमीन घोटाले का खुलासा किया गया, जिसमें सीलिंग से मुक्ति की धारा 20 की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन पाया गया। छूट लेते वक्त संस्था के 150 सदस्यों को आवासीय भूखंड उपलब्ध करवाने का दावा किया गया और बाद में सिर्फ 25 ही सदस्य बच गए। उनमें भी अधिकांश बोगस निकले हैं। कई सदस्यों ने तो स्पष्ट इनकार किया कि वे सूर्या गृह निर्माण संस्था के कभी सदस्य बने ही नहीं। उनके नाम कैसे सूची में शामिल कर लिए गए। प्राधिकरण की योजना 171 में शामिल इस जमीन को छुड़वाकर बाजार में बेचने के प्रयास भी मद्दे द्वारा अभी किए जा रहे हैं, जिसके चलते 250 करोड़ रुपए मूल्य की इस बेशकीमती जमीन को बचाने के लिए प्रशासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और शासन को इसमें हुए घोटाले की बिन्दुवार जानकारी भी कलेक्टर ने दी है।
पिछले साल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर हर तरह के माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया गया, जिसमें इंदौर के चर्चित भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को छुड़वाने और पीडि़तों को भूखंड उपलब्ध करवाने का भी सफल ऑपरेशन कलेक्टर मनीष सिंह ने संचालित किया। अयोध्यापुरी, पुष्प विहार, श्री महालक्ष्मी नगर में भी सैंकड़ों भूखंड पीडि़तों को भी कब्जे दिलाए गए, तो अन्य संस्थाओं के साथ-साथ धोखेबाज बिल्डर-कालोनाइजरों के चंगुल में फंसे पीडि़तों को भी बड़ी राहत दिलवाई और डायरी सहित अन्य तरह की जमीनी कारसतानियों को भी रोका गया। इसी कड़ी में कलेक्टर मनीष सिंह ने चर्चित जमीनी जालसाज दीपक मद्दे द्वारा किए गए एक और बड़े भू-घोटाले का खुलासा किया। गत वर्ष पुलिस-प्रशासन ने आधा दर्जन से अधिक एफआईआर एमआईजी, खजराना थाना क्षेत्रों में दर्ज करवाई थी और लगातार फरार रहने के बाद मद्दे ने कोर्ट से जमानत हासिल कर ली और फिर अभी पिछले दिनों शहर में लौटा और सेटलमेंट में जुट गया।
साथ ही सूर्या गृह निर्माण सहित अन्य जमीनों को बेचने की फिराक में भी लग गया। बॉम्बे हॉस्पिटल की सामने की जो मुख्य सडक़ महालक्ष्मी नगर होते हुए तुलसी नगर तक जाती है, उसी सडक़ से लगी हुई एमपीईबी की ग्रीड के सामने सूर्या गृह निर्माण सहकारी संस्था की लगभग 5 एकड़ बेशकीमती जमीन खाली पड़ी है। ग्राम खजराना की सर्वे नम्बर 114, जिसका रकबा 2.016 हेक्टेयर है और राजस्व अभिलेख में यह जमीन सूर्या गृह निर्माण के नाम पर दर्ज है, जिसे नगर भूमि सीमा अधिनियम 1976 यानी सीलिंग एक्ट की अतिशेष भूमि से धारा 20 के तहत छूट इसलिए मिली थी ताकि गृह निर्माण संस्था अपने सदस्यों को आवासीय भूखंड उपलब्ध करवा सके। संस्था ने सीलिंग से मुक्ति के आदेश में तब 150 सदस्य बताए थे, जो अब घटकर 25 ही रह गए। सहकारिता विभाग ने वर्ष 2018-19 का जो संस्था का ऑडिट कराया उसमें जो 25 सदस्य बताए गए उनमें भी अधिकांश बोगस ही निकले। वहीं कई सदस्य एक ही परिवार के, तो मद्दा के रिश्तेदार-कर्मचारी भी पाए गए। वहीं संस्था का अध्यक्ष नीलेश जैन है, जो कि दीपक मद्दे का सगा भाई है और लम्बे समय से फरारी भी काट रहा है। इसी तरह संस्था के सदस्य कमलेश भंडारी और देवीसिंह राठौर मद्दा के ही कर्मचारी हैं।
वहीं एक अन्य सदस्य अशोक डागा 1/2, महेश नगर निवासी खुद एक गृह निर्माण संस्था में धोखाधड़ी के आरोपी भी हैं। इसी तरह दाखाबाई हस्तीमल जैन, चंदनवाला जैन, महेन्द्र जैन, दिलीप जैन, ममता जैन एक ही परिवार के सदस्य हैं, तो उसी तरह अशोक माणकलाल जैन, अंशुल, प्राची और रवि जैन भी एक ही परिवार के सदस्य जांच के दौरान पाए गए। कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को 23 पेज का विस्तृत पत्र भेजा है, जिसमें सूर्या गृह निर्माण संस्था पर कब्जा करने वाले दीपक मद्दे की जालसाजी का सिलसिलेवार खुलासा किया गया। सीलिंग की धारा 20 से इस जमीन को जिन शर्तों के साथ मुक्ति दी गई उनमें से अधिकांश का दुरुपयोग व उल्लंघन संस्था ने किया। जमीन मालिक रामगोपाल पिता फकीरचंद से उक्त अतिशेष घोषित जमीन संस्था ने लेकर धारा 20 की छूट हासिल की। पूर्व में यह जमीन प्राधिकरण की योजना 132 में भी शामिल हुई, उसके बाद वर्तमान में लागू योजना 171 में भी शामिल है। इसी योजना में अन्य गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों पर प्रशासन ने पिछले दिनों पीडि़तों को भूखंड भी उपलब्ध कराए, जिसमें श्री महालक्ष्मी नगर, मजदूर पंचायत गृह निर्माण की पुष्प विहार सहित रजत, सन्नी, देवी अहिल्या व अन्य संस्थाओं की जमीनें शामिल रही। सूर्या गृह निर्माण की जमीन चूंकि मुख्य रोड से लगी हुई है और वर्तमान में 20 से 25 हजार रुपए स्क्वेयर फीट का भाव चल रहा है, जिसके चलते 250 करोड़ रुपए मूल्य की इस बेशकीमती जमीन को सरकारी घोषित करने की प्रक्रिया कलेक्टर ने शुरू करवाई है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लगातार माफियाओं के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई के निर्देश अफसरों को देते रहे हैं और यह भी घोषणा की है कि माफियाओं से मुक्त करवाई जमीनों को गरीबों को बांटा जाएगा। उसी कड़ी में कलेक्टर मनीष सिंह ने चर्चित भूमाफिया का उक्त एक और बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा है।
आठ साल तक जीवित रहा जमीन विकसित करने का आदेश
कलेक्टर ने अपने आदेश में विभिन्न विभागों से लिए गए अभिमत का भी हवाला दिया है। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जूनी इंदौर के साथ-साथ इंदौर विकास प्राधिकरण, तहसीलदार, सहकारिता विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर नगर निगम के कालोनी सेल से भी सूर्या गृह निर्माण की संबंधित जमीन के संबंध में जानकारी हासिल की गई। निगम के कालोनी सेल ने पत्र क्र. 3128 दिनांक 13.03.2006 के जरिए आवासीय उपयोग की जमीन पर कार्पोरेट विकास के लिए अभिन्यास अनुमोदन बाबद प्रकरण नगर तथा ग्राम निवेश को भेजा, जिस पर दिनांक 07.07.2006 को सूर्या गृह निर्माण के नाम से नगर तथा ग्राम निवेश ने आवासीय उपयोग के तहत कार्पोरेट विकास का अभिन्यास अनुमोदित कर उपायुक्त व प्रभारी अधिकारी कालोनी सेल को भेज दिया, जिसकी वैधता 06.07.2009 तक थी। बाद में नगर तथा ग्राम निवेश ने 11.10.2010 तक समयावधि बढ़ा दी। उसके पश्चात न्यायालयीन कार्रवाई भी चूंकि योजना में शामिल जमीनों की चलती रही, लिहाजा उस अवधि को भी मुक्त मानकर 21.10.2010 को दो वर्ष 9 माह यानी 06.04.2012 तक समयावधि बढ़ाई गई। इस तरह आठ साल अनुमति के बावजूद संस्था ने जमीन का विकास कर सदस्यों को भूखंडों का आबंटन नहीं किया।
जेबी संस्थाओं के नाम पर कबाड़ रखी है अरबों की जमीनें
इंदौर के तमाम चर्चित भूमाफियाओं और जालसाजों ने एक तरफ महत्वपूर्ण गृह निर्माण संस्थाओं को अपने कब्जे में लिया और रिश्तेदारों, कर्मचारियों को ही संस्था के अध्यक्ष व पदाधिकारी बनाकर मनमाने तरीके से सदस्यों की जमीनों की बंतरबांट सालों तक करते रहे। देवी अहिल्या, मजदूर पंचायत, मारुति गृह निर्माण, नवभारत, न्याय नगर, लक्ष्मण नगर, डाक तार विभाग, जागृति गृह निर्माण सहित अन्य संस्थाओं की अरबों रुपए की जमीनों को भूमाफिया ने अपने चंगुल में ले लिया। इनमें कई संस्थाएं प्राधिकरण की तमाम योजनाओं में भी शामिल रही। योजना 133 से छूटी जमीनों पर भी संस्थाओं ने जमकर खेल किए और पीडि़त सदस्यों को कम भूखंड मिले और बिल्डर, कालोनाइजरों, रसूखदारों ने बड़े-बड़े टुकड़ों में ये जमीनें खरीद ली। इसी तरह योजना 171 में शामिल मजदूर पंचायत, देवी अहिल्या, मारुति गृह निर्माण सहित रजत, सन्नी, महिराज, श्री कृपा सहित सूर्या गृह निर्माण जैसी संस्थाएं शामिल रही। इनमें से अधिकांश संस्थाएं जेबी ही है, जिनके पदाधिकारियों से लेकर अधिकांश सदस्य भी माफियाओं ने अपने मनमुताबिक बना रखे हैं। पिपल्याहाना क्षेत्र की जय लक्ष्मी सहित अन्य जेबी संस्थाओं पर भी इसी तरह की गाज गिरेगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved