नई दिल्ली। आधुनिक भारत (modern india) में शनिवार को आयकर विभाग के 161 वर्ष पूरे (Income Tax Department completes 161 years) हो गए। देश की 130 करोड़ की जनसंख्या में से लगभग 2 फीसदी लोग (2 percent people) भी इनकम टैक्स (income tax) नहीं चुकाते हैं। साल 2018-19 में देश में सिर्फ 1.46 करोड़ लोगों ने आय कर चुकाया था। हालांकि, भारत में विदेश यात्रा करने वाले, महंगी प्रॉपर्टी और कार खरीदने वाले लोगों की संख्या तकरीबन 3 करोड़ है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के मुताबिक साल 2018-19 में भारत के सिर्फ 40 लाख लोगों ने अपनी आय 10 लाख रुपये सालाना से ऊपर दिखाई थी। देश में एक करोड़ लोगों ने अपनी आय 5 से 10 लाख रुपये सालाना के बीच दिखाई थी। साल 2018-19 में भारत के कुल 5.78 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) फाइल किया था, जिसमें से एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी आमदनी ढाई लाख रुपये से नीचे दिखाई थी।
इसमें से लगभग 3.3 करोड़ लोगों ने अपनी सालाना आमदनी ढाई लाख से 5 लाख रुपये के बीच दिखाई थी। भारत सरकार ने इनकम टैक्स के लिए एक स्लैब बनाकर और कई तरह की छूट देकर 5 लाख रुपये तक सालाना आय वालों को इनकम टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया है। कर मामलों के जानकार का मानना है कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी देश की प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) आमदनी में 98 फ़ीसदी नागरिकों का कोई योगदान नहीं है। इसकी तुलना में विकसित देशों में 50 फ़ीसदी से ज्यादा लोग इनकम टैक्स चुकाते हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल एक कार्यक्रम में कहा था कि उस साल करीब 3 करोड़ भारतीयों ने विदेश यात्रा की है जबकि भारत में सिर्फ डेढ़ करोड़ लोग ही आयकर चुकाते हैं। पर्यटन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में करीब 3 करोड़ भारतीयों ने विदेश यात्रा की थी। इसके अलावा देश में लग्जरी कार और महंगी प्रॉपर्टी की बिक्री भी कुछ इसी अनुपात में बढ़ रही है। यदि जून, 2021 की बात करें तो लग्जरी कारों की बिक्री 167 फीसदी तक बढ़ गई है। (एजेंसी, हि.स.)
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