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    शहर में 10313 कोरोना मरीजों में से मात्र 98 अस्पतालों में हैं भर्ती

  • January 17, 2022

    • 17 फीसदी तक पॉजिटिविटी रेट पहुंचने के बावजूद फिलहाल राहत…
    • प्रशासन सतर्क, मगर दूसरी लहर जैसी चिंता नहीं… भरपूर हैं इंतजाम

    इंदौर। कल जारी मेडिकल बुलेटिन में 11 हजार 90 सैम्पलों की जांच में 1890 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज उजागर किए गए, जिसके चलते इंदौर जिले में फिलहाल 10313 उपचाररत मरीजों की संख्या हो गई है। बावजूद इसके राहत की बात यह है कि इनमें से मात्र 98 मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है और उनमें भी अधिक उम्र और कई बीमारियों से पीडि़त मरीज शामिल हैं। कोविड केयर सेंटर में भी मात्र 55 मरीज भर्ती हैं।
    दूसरी लहर में एक-एक बेड और ऑक्सीजन की भीषण मारामारी थी, जिसके चलते कई मरीजों की मौत भी हो गई, जिसके चलते अभी तीसरी लहर के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। 10 हजार से अधिक बेड निजी और सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए रखे गए, तो 45 से अधिक अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट पूरी क्षमता से चलाए जा रहे हैं। हालांकि गिनती के भी मरीजों को ऑक्सीजन या आईसीयू की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। आज सुबह तक 95 मरीज आइसोलेशन बेड पर भर्ती थे, तो 27 ऑक्सीजन और 11 आईसीयू में भर्ती बताए गए। इन 133 मरीजों के अलावा राधास्वामी सत्संग स्थित माँ अहिल्या कोविड केयर सेंटर में 55 ए सिम्प्टोमैटिक भर्ती किए गए, जिनके पास होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं है। यानी 10 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में ही उपचाररत हैं। निजी अस्पताल, सरकारी और कोविड सेंटर मिलाकर मात्र 196 मरीजों को ही भर्ती किया गया है, जबकि अन्य सारे मरीज घर पर आसानी से 3-4 दिन में ही स्वस्थ हो रहे हैं। अधिकांश निजी अस्पतालों में भी आरक्षित बेड खाली पड़े हैं। यही कारण है कि मरीज बढऩे के बावजूद शासन-प्रशासन दूसरी लहर की तरह चिंतित नहीं है और नए प्रतिबंध भी लागू नहीं किए।
    17 लाख टेबलेट और 20 हजार से अधिक इंजेक्शनों का भी स्टॉक
    दूसरी लहर से सबक सीखकर कोरोना उपचार में लगने वाली दवाइयों, इंजेक्शनों के साथ भरपूर ऑक्सीजन का भी स्टॉक इंदौर सहित प्रदेशभर में कर लिया गया है। 17 लाख से ज्यादा आइवर मैक्टिन टैबलेट और 20 हजार से अधिक रेमडेसिविर, टॉसिलिजुमैब, एम्फोटैरेसिन जैसे इंजेक्शनों का स्टॉक किया गया है। दूसरी लहर में रेमडेसिविर और टॉसी के अलावा ब्लैक फंगस के मरीज भी तेजी से बढ़े थे और उसके लिए भी इंजेक्शनों का टोटा पड़ गया था। मगर अभी जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं उन्हें भी इन इंजेक्शनों की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। अधिकांश मरीज सामान्य दवाइयों और होम आइसोलेशन के मरीज तो पैरासिटामॉल और विटामिन की गोली खाकर या गर्म पानी और भाप लेकर ही स्वस्थ हो रहे हैं। ऑक्सीजन की भी 2 फीसदी खपत नहीं हो रही है।

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