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    मप्र को निवेश के लिए सबसे आकर्षक राज्य बनाना हमारी प्राथमिकता : शिवराज

  • December 08, 2021

    भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारा यह मानना है कि देश तभी आत्म-निर्भर बनेगा जब राज्य आत्म-निर्भर होंगे। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए चार बिंदुओं पर आधारित रोड मैप बनाया गया है। यह 4 बिंदु हैं भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य और शिक्षा तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार। इसके लिए अधोसंरचना और बेहतर कनेक्टिविटी चाहिए।

    उन्होंने कहा कि इस दिशा में राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। साथ ही राज्य में इज ऑफ डूईंग बिजनेस का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। उक्त बातें मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को पीएचडी चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री द्वारा होटल ली मेरिडियन नई दिल्ली में आयोजित स्टेट पॉलिसी कॉन्क्लेव- 2021 में मंत्रालय से वर्चुअली संबोधित करते हुए कही।


    मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि निवेशक प्रदेश में नियमों के मकड़ जाल में नहीं उलझे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के दो प्रमुख लक्ष्य हैं पहला, मध्यप्रदेश के नौजवानों में उद्यमिता के गुण का विकास करना, जिससे वे रोजगार मांगने वाले नहीं अपितु रोजगार देने वाले बनें और दूसरा–मध्यप्रदेश को निवेश के लिए सबसे आकर्षक राज्य बनाना। निवेशकों को प्रदेश में उपयुक्त वातावरण मिले, कोई समस्या न आए, इस उद्देश्य से प्रत्येक सोमवार का फर्स्ट हॉफ हमने निवेशकों के साथ वन-टू-वन मीट के लिए निर्धारित किया है।

    उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजनरी नेता है। उनके नेतृत्व में गौरवशाली, वैभवशाली, संपन्न, समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण की प्रक्रिया जारी है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश निरंतर प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कोरोना से संघर्ष की कठिन परिस्थिति में आपदा में अवसर को बदलने का मार्ग प्रशस्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने आत्म-निर्भर भारत के निर्माण का मंत्र दिया है। इस दिशा में चलते हुए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए रोडमेप तैयार किया गया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में निवेशकों को निवेश के लिए बेहतर वातावरण देने के उद्देश्य से अटल एक्सप्रेस-वे और प्रदेश की पूर्व से पश्चिमी सीमा तक नर्मदा एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे के आसपास औद्योगिक केंद्र तथा औद्योगिक टाउनशिप विकसित किए जाएंगे। प्रदेश में दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सिंगापुर के सहयोग से ग्लोबल स्किल पार्क बनाया जा रहा है। शिक्षित और दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में सीएम राइज स्कूल की व्यवस्था की गई है। ‘स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज’ की अवधारणा लागू की जा रही। इसमें 30 दिन में उद्योग लगाने की अनुमति प्रदान कर दी जाएगी। निर्धारित की गई समय-सीमा को पब्लिक सर्विस डिलेवरी गारंटी से जोड़ा गया है। मध्यप्रदेश सरप्लस बिजली उपलब्ध कराने वाला प्रदेश है। प्रदेश में पानी, स्किल मेनपॉवर और मेन डेज़ लॉस नहीं है।

    चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश जल, वन और खनिज संपदा से भरपूर है। साथ ही यहाँ पर्याप्त जैव विविधता और भरपूर कृषि उत्पादन भी उपलब्ध है। प्रदेश के युवाओं में उद्यमिता के विकास के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना आरंभ की गई है। हमारा प्रयास है कि प्रदेश के युवा राज्य शासन के सहयोग से अपने उद्यम स्थापित करें और वे रोजगार करने के बजाए रोजगार देने वाली क्षमता विकसित करें। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, देश का फार्मा और गारमेंट हब है। अब हम इसे लॉजिस्टिक हब बनाने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहे हैं। भारतमाला परियोजना के पहले चरण में इंदौर और भोपाल में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क स्थापित करने का फैसला लिया गया है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड के दौर में हमारी औद्यिगिक इकाइयों में 2019 के मुकाबले में 2021 में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इंडस्ट्रीज को लैंड अलॉटमेंट के मामले में 33 प्रतिशत, प्रस्तावित निवेश में 67 प्रतिशत और रोजगार में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के सुधारों के सफल क्रियान्वयन से मध्यप्रदेश अतिरिक्त ऋण राशि का लाभ लेने वाले प्रथम 5 राज्यों में है।

    चौहान ने कहा कि वेस्टर्न रीजन में मध्यप्रदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इससे राज्य को 2,373 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हुआ है। औद्योगिक विकास को तेजी से बढ़ाने के लिए ‘देवास निवेश क्षेत्र’ तथा ‘रतलाम निवेश क्षेत्र’ बनाए गए हैं। देवास निवेश क्षेत्र लगभग 3,400 एकड़ तथा रतलाम निवेश क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 4,500 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के मोहासा-बाबई औद्योगिक क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा मेडिकल डिवाइस पार्क को मंजूरी प्रदान की गई है। चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम है।

    उन्होंने कहा कि प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का जाल बिछाने के लिए 16 क्लस्टर्स चिन्हित किए गए हैं। इनमें फर्नीचर, टेक्सटाईल, पॉवरलूम, टॉय, गुड़, नमकीन जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इंदौर में फर्नीचर क्लस्टर को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। केन्द्र सरकार से 13 क्लस्टर्स की स्वीकृति प्राप्त हुई है। लोकल को वोकल बनाने के लिए “एक जिला-एक उत्पाद” योजना में प्रदेश के हर जिले के लिए विशिष्ट उत्पादों का चयन कर लिया गया है। इनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग, मार्केटिंग, उत्पादन आदि में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। निर्यातकों को मार्गदर्शन एवं प्रचार-प्रसार के लिए एमपी ट्रेड पोर्टल एवं एक्सपोर्ट हेल्पलाइन का शुभारंभ किया गया है। मध्यप्रदेश राज्य द्वारा अग्रणी राज्यों में रहते हुए रेगुलेटरी कम्प्ल्यांस बर्डन (अनुपालन बोझ) को कम करने के लिए सफलतापूर्वक 1,896 सुधार लागू किए गए हैं। जीआईएस आधारित भूमि आवंटन प्रणाली के साथ आद्योगिक क्षेत्रों में ऑनलाइन भूमि आवंटन की प्रक्रिया लागू की गई है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि ईज ऑफ़ डूईंग के साथ कॉस्ट ऑफ़ डूईंग बिजनेस की प्रक्रिया को भी अनुकूल बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। मोहासा-बाबई औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगों को न्यूनतम दर पर बिजली देने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश को गारमेंट हब के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2014 में अनेक आवश्यक संशोधन किए गए हैं। प्रदेश में गारमेंट सेक्टर में त्रिपुर और देश के अन्य क्षेत्रों से तेजी से निवेश आ रहा है। कोविड को देखते हुए ऑक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में नवीन निवेश को आकर्षित करने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों एवं ऑक्सीजन उपकरण निर्माण इकाइयों के लिए विशेष वित्तीय सहायता योजना लागू की गई है। मध्यप्रदेश ने अपनी इथेनॉल पॉलिसी जारी कर दी है। राज्य में लगभग 200 करोड़ लीटर प्रतिवर्ष से अधिक का इथेनॉल उत्पादन अनुमानित है। कॉन्क्लेव में सहभागिता के लिए पीएचडी चेंबर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज द्वारा मुख्यमंत्री चौहान का आभार माना गया। (एजेंसी, हि.स.)

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