प्रयागराज। पति पत्नी के झगड़े (husband wife quarrel) और फिर बच्चे की अभिरक्षा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अहम फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि अदालत के बाहर पति-पत्नी के बीच हुए समझौते (Out of court agreement between husband and wife) से कोर्ट का आदेश खत्म नहीं (Court order not over) होता है, जब तक कि कोर्ट की मंजूरी नहीं मिली हो।
हाईकोर्ट ने बच्चे की अभिरक्षा 10 साल की आयु तक मां को सौंपी थी। इस बीच पति-पत्नी में साथ रहने का समझौता हो गया. लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं चला और फिर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा. जिसके बाद पत्नी ने घर छोड़ दिया. लेकिन पति ने जबरन बच्चा अपने पास रख लिया. जिसके बाद पत्नी श्वेता गुप्ता ने बच्चे की अभिरक्षा न सौंपने पर पति डॉक्टर अभिजीत कुमार और अन्य के खिलाफ कोर्ट आदेश की अवमानना करने का केस दायर किया है।
10 साल तक मां के पास ही रहेगा बच्चा
जिस पर याचिका की सुनवाई कर रहे जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार 10 साल की आयु तक मां को कोर्ट ने ही सौंपा है. कोर्ट के बाहर हुए समझौते से आदेश खत्म नहीं होगा. कोर्ट ने बच्चे की इच्छा भी पूछी कि वो किसके साथ रहना पसंद करेगा, तो उसने मां के साथ जाने की इच्छा जताई. इस पर कोर्ट ने विपक्षी पति को बच्चे की अभिरक्षा मां को सौंपने का निर्देश दिया और कहा कि 10 साल की आयु तक बच्चा मां की अभिरक्षा में रहेगा. कोर्ट ने पति से एक महीने में याचिका पर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई जुलाई महीने में होगी।
सप्ताह में एक दिन मिल सकेंगे
गौरतलब है कि पति-पत्नी के बीच विवाद पर दोनों अलग रहने लगे. पिता ने नाबालिग बच्चे आरव की अवैध निरूद्धि से मुक्त करने की बंदी प्रत्यक्षीकरण दायर की. कोर्ट ने कहा कि आरव 10 साल की आयु तक मां के साथ रहेगा. पिता और दादा हफ्ते में एक दिन तीन घंटे के लिए दोपहर में मिल सकेंगे. कोर्ट ने पति का जमा कराया गया 15 हजार रुपया मां को देने का आदेश दिया है।
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