भोपाल। कोरोना (Corona) महामारी से निजात दिलाने जहां गरीब भी मदद के लिये आगे आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे माननीय निधि का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। 230 सीटों वाली विधानसभा (Vidhan Sabha) के मौजूदा 226 सदस्यों की यह स्थिति मप्र (MP) में तब सामने आ रही है, जबकि दवा ऑक्सीजन (Oxygen) सहित दूसरी जरूरतों के को पूरा करने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बावजूद इसके यह जनता के लिये ही सरकार (Government) से मिलने वाली स्वेच्छानुदान सहित दूसरी निधियों को खर्च करने में दरियादिली नहीं दिखा पा रहे हैं। विधायकों का यह रवैया तब देखने को मिल रहा है जबकि नियमों में बदलाव करते हुए सरकार (Government) ने विधायक निधि को कोरोना संक्रमण (Corona Infection) मदद के लिये खर्च करने की छूट दे दी है। बावजूद इसके कांग्रेस (Congress) के 95 व भाजपा के 126 विधायकों में अधिकतर ने चौवन्नी की राशि भी देना उचित नहीं समझा है। जबकि इससे सरकार (Government) को एक साथ 456 करोड़ रूपये कोरोना संक्रमण (Corona Infection) से जूझने में मदद के लिये मिलेंगे। बावजूद इसके वेतन भत्तों से इतर निधि के रूप में मिलने वाले सालाना 2 करोड़ रूपये के बाद भी कुछ नवागत विधायक विपिन बानखेड़े से सबब लेते हुए 5 लाख रूपये भी नहीं दे पाये हैं। यह बात दूसरी है कई विधायकों ने पहल करते हुए कलेक्टरों को निधि से 20 से 25 लाख रूपये तक की सहायता करने का प्रयास भी किया है। बावजूद इसके ऐसे सदस्यों की संख्या मु_ी भर भी नहीं है। इस श्रेणी में कांग्रेस (Congress) के 8 और भाजपा (BJP) के 6 विधायक ही शामिल हो पाये है।
लापता है सपा बसपा और निर्दलीय विधायक
मप्र विधानसभा में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों में बसपा के 2, सपा के 1 और निर्दलीय के तौर पर 4 विधायक है। क्षेत्रीय जनता ने कांग्रेस व भाजपा जैसे मुख्य राजनैतिक दलों को दरकिनार करते हुए विधानसभा भेजा था। बावजूद इसके संकट के इस दौर में यह नजर नहीं आ रहे हैं। बता दें कि कलावती भूरिया के निधन के कारण जोबट विधानसभा की एक सीट और उपनिर्वाचन के परिणाम नहीं आने के कारण इसमें दमोह सीट के सदस्यों का उल्लेख नहीं किया गया है।
दिया पर समाने नहीं आई दिलेरी
कांग्रेस व भाजपा के कुछ विधायकों ने जनता के प्रति विश्वास बनाये रखने के लिये विधायक निधि राशि जरूर दी है, लेकिन महामारी से लडऩे खर्च हो रही राशि के मुकाबले यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। अब तक जिन लोगों ने दिया है उनमें कांग्रेस के सचिन यादव ने 15 लाख, पीसी शर्मा 20 लाख, सज्जन ङ्क्षसह वर्मा 20, जीतू पटवारी 20, विपिन वानखेड़े 5, कुणाल चौधरी 25 लाख, हीरालाल अलावा 1 करोड़ और जयवर्धन सिंह ने 20 लाख दिया है। वहीं भाजपा सदस्यों में वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने 15 लाख, राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने 25 लाख, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने 50 लाख, दिनेश राय मुनमुन ने 1 करोड़ और संजय पाठक ने 1 करोड़ 25 लाख रुपये ही अब तक दे पाये है।
विश्वास सारंग और राजेंद्र शुक्ला बने मिसाल
प्रदेश के दूसरे विधायकों के लिये पूर्व मंत्री व विधायक राजेंद्र शुक्ला और मौजूदा चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग मिसाल के तौर पर सामने आए है। क्योंकि समय की नजाकत और आवश्यकता को समझते हुए इन दोनो ही विधायकों अपनी संपूर्ण स्वेच्छा और विधायक निधि राशि कलेक्टरों को माध्यम से सरकार को सौंप दी है। बता दें कि स्वेच्छानुदान के लिये 15 लाख और विकास निधि के नाम पर 1 करोड़ 85 लाख रूपये इनको मिलते है।
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