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    गुजरात से दिल्ली तक मौत का तांडव, आग लगने से 19 बच्चों समेत 38 की मौत

  • May 26, 2024

    नई दिल्ली: गुजरात से लेकर दिल्ली तक पिछले 24 घंटे में आग की तीन बड़ी घटना में 38 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 19 बच्चे भी शामिल हैं. शनिवार रात 11:30 बजे विवेक विहार के न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर में आग लगने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि कृष्णा नगर के एक घर में आग लगने से तीन लोगों की मौत हो गई. वहीं, राजकोट अग्निकांड में 12 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई. दिल्ली के फायर डायरेक्टर अतुल गर्ग का कहना है कि 11:32 पर आग लगने की कॉल मिली और कॉलर ने बताया कि ब्लास्ट हो रहे हैं. हमने शुरू में सात फायर गाड़ी भेजी लेकिन अस्पताल में बच्चों को देखते हुए हमने कुल 14 गाड़ियों को मौके पर भेजा.

    बताया जा रहा है की पांच सिलेंडर ब्लास्ट हुई, जिसकी वजह से आग बहुत तेजी से फैल गई. छोटे बच्चे थे, खुद निकल नहीं सकते थे, इसलिए फायर की टीम के लिए बहुत चैलेंजिंग काम था. बच्चों को सुरक्षित बाहर निकलना और साथ ही आग को बुझाना ताकि आग फैलने ना पाए. इसलिए हमने दो टीमें बनाईं, जिनमें से एक बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाले और दूसरी आग पर काबू पाए. 12 बच्चों को हमने रेस्क्यू कर अस्पताल भेजा, जिनमें से सात की मौत हो चुकी है.

    फायर के कोशिश के बाद भी हम उन्हें बचा नहीं पाए. क्योंकि ब्लास्ट हुए थे इस वजह से आग फैली और बराबर की बिल्डिंग में भी आग फैल गई. फायर की टीम मौके पर पहुंची तो उन्हें वहां अस्पताल के कर्मचारी नहीं मिले. ऐसा लग रहा है कि ब्लास्ट हुआ था तो लगता है कि अस्पताल के कर्मचारी निकल गए थे ,क्योंकि सारे बच्चे हमें ही निकालने पड़े. हो सकता है कि अस्पताल के कर्मचारी खुद घायल हो गए हो और बच्चों को उठाने पर वहां से चले गए.


    ऐसा लग रहा है कि बच्चों को नहीं बचाया और अपनी जान बचाकर अस्पताल के कर्मचारी वहां से चले गए. रेस्क्यू ऑपरेशन काफी मुश्किल था क्योंकि ब्लास्ट हुआ था, तो पूरी बिल्डिंग में आग लगी हुई थी, इसलिए बिल्डिंग की सीढ़ियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, इसलिए खिड़की से बच्चों को बाहर निकाल गया. सीढ़ी लगाई गई. ह्यूमन चैन बनाई गई और उसके जरिए मासूम बच्चों को खिड़की के रास्ते बाहर निकाला गया. 10 दिन के छोटे बच्चों को उठाना ,उनको संभाल के निकालना बहुत चैलेंजिंग काम था. अंदर धुआ था, बाहर ब्लास्ट हो रहा था.

    आग लगने के कारणों की वजह यह है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, आग लगती है, तापमान बढ़ता है, दिल्ली में पिछले 15 साल के रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रतिदिन 170 फायर की कॉल आती है, जबकि सर्दी के दिनों में यह फायर की कॉल 80 से 90 तक रह जाती है. तापमान पहले से ही ज्यादा है. कोई भी स्पार्क होता है तो आग काफी तेजी से फैलती है. गर्मियों में इलेक्ट्रिक फायर ज्यादा होती है. एसी में एम इलेक्ट्रिक मीटर में आग तेजी से लगती है क्योंकि तापमान काफी ज्यादा होता है और इलेक्ट्रिक डिमांड की वजह से लोड भी पड़ता है. कृष्णा नगर की फायर में भी मीटर में आग लगी और जिसे आग फैल गई, धुआं भर गया और तीन लोगों की मौत हुई.

    उन्होंने कहा कि आग लगने पर बचाव का रास्ता बेहद अहम है. सबसे पहले आग लगने पर फायर की टीम को इत्तिला देनी चाहिए. बड़ी आग को खुद नहीं बुझाया जा सकता, उसके बाद खुद बाहर चले जाएं और फायर फाइटिंग ना करें. फायरफाइटर को रास्ता देना चाहिए, लोग भीड़ इकट्ठी कर लेते हैं, जिससे फायर की टीम को पहुंचने में मुश्किल होती है. सबसे बड़ी मुश्किल फायर टीम के सामने यह है कि इनफार्मेशन समय पर नहीं मिलती, इनफॉरमेशन सही नहीं मिलती और लोग सड़क पर जमघट लगा लेते हैं और यही वजह है कि जो हमारा गोल्डन टाइम होता है 5 से 8 मिनट का वह खराब हो जाता है.

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