पन्ना। वनों की आग (Forest fire) से रक्षा करने के नाम पर भारी भरकम बजट प्रतिवर्ष आता है जिसे कागजी बिल व्हाचरों के माध्यम से ठिकाने लगा दिया जाता है। अधिकारी एवं विभागीय वनकर्मी (Officer and departmental forest worker) शायद ही कभी वन क्षेत्र (Forest area) में जाते हों जिस कारण वनों में लगभग 15 दिनों से आये आगजनी की घटनायें सुनने को मिल रही है। होली से लेकर तीन दिनों तक लगातार पन्ना (Panna) के आसपास का जंगल आग चपेट में देखा गया।
पन्ना जिले में आग से तबाही एक और आग से जंगल तबाह हो रहे हैं तो दूसरी ओर खेत खलिहान में भी लगातार आग लग रही है । 30 मार्च को जिले के कई जंगलों और खेतों में आग की सूचना सामने आई है जिसमें से उत्तर वन मंडल बफर जोन एवं अजयगढ़ क्षेत्र के बरियारपुर अमर जी एवं पवई गुनौर क्षेत्रों के कुसेदर और अन्य क्षेत्रों में भी खेतों में आग की सूचनाएं मिली हैं। वन विभाग के अधिकारियों द्वारा जंगल की आग का जिम्मेदार महुआ बीनने वाले वनवासियों को बताया जा रहा है वहीं खेतों में लगने वाली आग का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वह कभी आग लगाकर जंगल में नहीं छोड़ते अगर लगाते भी हैं तो सूखे पत्तों के ढेर को आग लगाकर बुझा देते हैं पर जंगल से गुजरने वाली विद्युत लाइनों के तारों में तेज हवाओं के कारण होने वाले टकराव से चिंगारियां जंगल में आग को भड़का देती है और जंगलों में लगे सूखे पत्तों के ढेर से आग विकराल रूप धारण कर लेती है।
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