अधिकारी नेताओं की तीमारदारी में व्यस्तसरकार की दोहरी नीति का खामियाजा उठा रहे अधिकारी
इंदौर। जनसेवा शिविर के द्वितीय चरण में हजारों की तादाद में आए आवेदन अब सरकार की दोहरी नीति के कारण कर्मचारियों और अधिकारियों के गले की घंटी बन रहे हैं। लगभग 7000 से अधिक मामलों में पेंडेंसी नजर आ रही है, जिनमें 2000 पुलिस प्रशासन के हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा आम जनता को फायदा दिलाने के लिए चलाए गए जनसेवा शिविर के द्वितीय चरण का समापन हो गया है। अब सिर्फ पेंडेंसी बची है। समयसीमा खत्म होते ही प्रकरणों का ढेर अधिकारियों के लिए मुसीबत बन गया है। जाति प्रमाण पत्र, नामांतरण, बंटांकन और अन्य मुद्दों को लेकर आए आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है, लेकिन बजट नहीं आने के कारण अटके मामले पेंडेंसी बढ़ाते जा रहे हैं। अनुसूचित जाति व जनजाति विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग के साथ-साथ कई विभागों का भोपाल से बजट न आने के कारण छात्रों की छात्रवृत्ति, किसान सहायता, आपदा सुरक्षा और शिक्षा का पैसा अटका हुआ है। इसके कारण कर्मचारियों की परेशानियां बढ़ रही हैं। 50 से ज्यादा दिन की पेंडेंसी होने के कारण अधिकारियों को शोकॉज नोटिस थमाए जा रहे हैं। कर्मचारियों को वेतन रोकने जैसी सजा दी जा रही है।
भडक़े कलेक्टर, अधिकारियों पर गिरी गाज
15 दिनों से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद जनसेवा शिविर के मामलों में लगभग 7000 से अधिक की पेंडेसी सामने आई है। वहीं सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। टॉप 10 पेंडेंसी वाले विभागों में पुलिस प्रशासन, नगर निगम, अनुसूचित जनजाति, पंचायत और रेवेन्यू हैं। सबसे ज्यादा पेंडिंग पड़े जनशिविर के मामलों में 7000 में से लगभग 2000 मामले पुलिस प्रशासन के हैं। कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए जहां बैठक में अनुपस्थित रहने व सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों के निराकरण में लापरवाही बरतने पर प्राचार्य एसके कोरी का एक दिन का वेतन राजसात करने के आदेश जारी किए, वहीं सीएम हेल्पलाइन में छात्रों की सुनवाई नहीं होने के कारण अनुसूचित जनजाति विभाग की अधिकारी सुप्रिया विशन को शोकॉज नोटिस थमाया है।
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