उज्जैन। कोरोना काल को दो साल से ज्यादा का वक्त हो गया है। महामारी के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों का बौद्धिक विकास भी स्थित हो गया है। कोरोना के प्रभाव से बच्चों की मानसिकता भी बदलने लगी है। इसे रोकने के लिए समाजसेवी व अन्य संस्थाएं आगे आई हैं। बच्चों में तनाव और महामारी के विपरीत प्रभावों को दूर करने के लिए यह संस्थाएँ कई कार्यक्रम चलाएंगी उल्लेखनीय है कि कोरोना के पुन: बढ़ते हुए मामलों को देख कर एक बार फिर जिला प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संस्थाएं भी सामूहिक रूप से प्रयास कर समाज में अपनी भूमिका तय करने में लग गई हैं। कोरोना का सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर देखने को मिला है। उनका स्कूल जाना छूट गया, ऑनलाइन क्लास के चलते दिन भर मोबाइल के सम्पर्क, मैदान से दूरी व घर में रहने के कारण उनके मानसिक स्तर पर हो रहे परिवर्तन को लेकर संस्थाओं ने चिंता जताई है।
जनअभियान परिषद और नियो विजन सोसाइटी द्वारा आयोजित बैठक में शहर की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी सम्मिलित हुए और उन्होंने अपने-अपने सुझाव दिए। तय किया गया कि बच्चों में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना जरुरी होगा ताकि बच्चों की आंतरिक चेतना विकसित होगी। जो बच्चे टीकाकरण से अभी तक वंचित है उनकी सूची बनाकर उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित करेंगे। स्कूल स्तर पर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। बच्चियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाएंगे ग्रामीण स्तर पर बाल संरक्षण कमेटी के गठन में भी जनअभियान परिषद ने कुछ सक्रिय सदस्यों को जवाबदारी दी जाएगी, ताकि ग्रामीण स्तर पर बाल संरक्षण समितियां सक्रिय रूप से कार्य कर सकें। बैठक में शिवप्रसाद मालवीय, शेर सिंह ठाकुर, फादर सुनील जॉर्ज चाइल्ड लाइन, रमेश चंद शर्मा स्काउट एंड गाइड, श्रीमती अनुभूति सिंह स्काउट एंड गाइड आदि मौजूद रहे।
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