नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव अभी दूर है, मगर भाजपा ने इसकी मजबूत तैयारी अभी से शुरू कर दी है। पार्टी अजेय बनने के लिए भावी सियासी-क्षेत्रीय चुनौतियों के अनुरूप व्यापक बदलाव को हथियार बना रही है। इस क्रम में राज्य संगठन से लेकर केंद्रीय संगठन तक कई बदलाव हुए हैं। कई बदलाव अभी होने हैं। हर बदलाव में पार्टी का नया प्रयोग, नया सामाजिक-क्षेत्रीय समीकरण बनाने पर जोर और समय के अनुरूप पार्टी की बदलती रणनीति का अक्स साफ तौर पर नजर आता है।
दरअसल, आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के समक्ष दो चुनौतियां हैं। पहली चुनौती उन राज्यों में पुरानी धमक कायम रखने की है जहां बीते चुनाव में पार्टी को जबरदस्त जीत हासिल हुई थी। दूसरी चुनौती विस्तार की संभावना वाले राज्य हैं, जहां अधिक सीटें जीत कर पार्टी अपनी सीटों की संख्या पहले से ज्यादा बढ़ाना चाहती है। यही कारण है कि बीते कुछ महीनों में राज्य संगठन से लेकर केंद्रीय संगठन तक हुए बदलावों में पार्टी ने राज्यवार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करने का साफ संदेश दिया है।
संसदीय बोर्ड के जरिये संदेश
यूपी-बिहार में खास रणनीति
राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में बड़ा दांव
मिशन 2024 की तैयारी की झलक राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में भी दिखी। भाजपा ने आदिवासी समाज की द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति तो जाट बिरादरी और किसान पृष्ठभूमि के जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। इन दो चुनावों के जरिये पार्टी ने दो अहम बिरादरी को अहम सकारात्मक संदेश दिया। गौरतलब है कि आदिवासी समाज का लोकसभा की करीब 100 तो जाट बिरादरी का करीब 60 सीटों पर प्रभाव है। इन दो चेहरों के जरिये पार्टी ने करीब एक दर्जन राज्यों का सियासी समीकरण भी साधने के अलावा विपक्ष में बिखराव की सफल व्यूह रचना की।
राज्यों में भी नया समीकरण
सख्ती के साथ जारी रहेगा बदलाव का सिलसिला
पार्टी की योजना अगले दो-तीन महीने में वर्तमान सियासी परिस्थिति और भविष्य की सियासी चुनौतियों के अनुरूप सख्ती से सरकार और संगठन में बदलाव लाने की है। पहले दौर में तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा में अहम बदलाव हुए हैं। भविष्य में दूसरे राज्य भी व्यापक बदलाव के शिकार होंगे। सियासी खांचे में फिट नहीं बैठने वाले व्यक्ति की सरकार और संगठन से विदाई होगी। जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी व्यापक बदलाव के साथ केंद्रीय संगठन में खाली पड़े पदों को भरने और जरूरी बदलाव की पटकथा तैयार की जा रही है।
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