नई दिल्ली। राजस्थान की राजनीति में भूचाल लाने वाले सचिन पायलट ने मंगलवार को कहा कि संगठन और पार्टी के लिए जो जरूरी था, वही किया। उन्होंने कहा कि राजनीति में द्वेष और दुर्भावना के लिए कोई जगह नहीं होती। मेरी कोशिश हमेशा रही है कि राजनीतिक संवाद सुचारू रहे। यह संघर्ष किसी व्यक्ति की नहीं बल्कि सिद्धांतों को लेकर थी। ये बातें उन्होंने जयपुर लौटने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कही।
इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से ‘नकारा’ कहे जाने पर सचिन पायलट ने कोई टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा, “मैंने अपने परिवार से संस्कार पाया है। अगर किसी दूसरी पार्टी में मेरा कट्टर दुश्मन भी होगा तो मैं उनके लिए इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करुंगा।” अशोक गहलोत उम्र में मुझसे काफी बड़े हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैंने हमेशा उनका सम्मान किया है लेकिन कार्य में कमी पर मैं आवाज उठाऊंगा।
हालांकि अब तक के संघर्षों पर सचिन पायलट ने कहा कि जब राज्य में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 21 रह गई थी तब मुझे राहुल गांधी ने पार्टी को राज्य में दोबारा खड़ा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे मैंने बखूबी निभाया। पांच साल विपक्ष में रहते हुए धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल करते हुए चुनाव में गए और कांग्रेस के 100 से ज्यादा विधायक जीतकर आए। ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती थी कि कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान का ख्याल रखा जाए। लेकिन हमने डेढ़ साल में जो काम किए, उसमें कार्यकर्ताओं की बात को पूरा नहीं कर पा रहे थे। इसलिए हमें लगा कि दिशा बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल और प्रियंका जी से बातचीत के दौरान सारी बातों को रखा है। अब हमें वादों के निराकरण का आश्वासन भी मिला है। (एजेंसी, हि.स.)
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