लखनऊ । पतित पावनी और जीवनदायिनी (Holy and Life-Giving) गंगा (Ganga) को प्रदूषणमुक्त (Pollution Free) बनाने के लिए (To Make) उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) इसके कैचमेंट एरिया में (In the Catchment Area) बड़े पैमाने पर (On Large Scale) जैविक खेती और वनीकरण (Organic Farming and Afforestation) को प्रोत्साहन देगी (Will Encourage) ।
राज्य के जिन 27 जिलों से गंगा नदी गुजरती है, उनमें इसके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह फसलों को सुरक्षित रखने और उपज बढ़ाने के लिए केवल जैविक उत्पादों का ही प्रयोग किया जाएगा, ताकि खेतों से होते हुए रासायनिक खादों व कीटनाशकों का जहर गंगा में न घुल सके। इस दिशा में योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही प्रयास शुरू कर दिया है। 4784 क्लस्टर्स में 1,75,000 किसान 95,680 हेक्टेयर में जैविक खेती कर रहे हैं, उनमें नमामि गंगा योजना के तहत 3,309 क्लस्टर्स में 63,080 हैक्टेयर में जैविक खेती कराई जा रही है। इससे जुड़े किसानों की संख्या 1,03,442 है। इस तरह से देखा जाए तो जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का ही है। इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शामिल होता है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवम्बर 2017 में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में आयोजित किए गए जैविक कृषि कुंभ में विशेषज्ञों ने यह संस्तुति की थी कि गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित किया जाए। चूंकि हर साल आने वाली बाढ़ के कारण इस क्षेत्र की मिट्टी बदलकर उर्वर हो जाती है, इस तरह पूरे क्षेत्र में जैविक खेती की बहुत संभावना है। यही वजह है कि योगी सरकार-2 में गंगा के किनारे के सभी जिलों में जैविक खेती को विस्तार दिया जाएगा।
इसी दिशा प्रयास को आगे बढ़ाते हुए, सरकार ने अगले छह माह में गंगा के किनारों पर 6759 हेक्टेयर में वनीकरण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए गंगा के किनारों पर बसे जिलों में 503 जगहों को चिन्हित किया गया है। गंगा के अधिग्रहण क्षेत्र में सरकार पहले से गंगा पर गंगा वन, गंगा तालाब के साथ-साथ उसकी सहायक और अपेक्षाकृत प्रदूषित नदियों के किनारों पर भी सघन पौधरोपण की योजना बना चुकी है। इससे न सिर्फ हरियाली बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक तरीके से संबंधित नदियों का प्रदूषण भी दूर हो सकेगा। इसके अलावा, कटान रोकने से इन इलाकों में बाढ़ की विकरालता भी कम होगी।
ज्ञात हो कि गंगा के मैदानी इलाके का अधिकांश इलाका उत्तर प्रदेश में पड़ता है। गंगा की कुल लंबाई बांग्लादेश को शामिल करते हुए 2525 किलोमीटर है। इसमें गंगा नदी भारत और यूपी में क्रमश: 2971 एवं 1140 किलोमीटर का सफर तय करती है। कुल मिलाकर गंगा नदी प्रदेश के 28 जिलों से गुजरती है, जिनमें बिजनौर, बंदायू, अमरोहा, मेरठ,बुलन्दशहर, अलीगढ़, फरुर्खाबाद, कन्नौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, गाजीपुर आदि शामिल हैं।
बीबीएयू के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता बताते हैं कि गंगा के किनारे अगर पूरी तरह से जैविक खेती और सघन वन लगाए जाएं तो इससे गंगा की एक चौथाई समस्या कम होगी। वन लगाने से ग्रीन कॉरिडोर बन जाएगा। यह भविष्य में अतिक्रमण को रोकेगा। कटान की जगहों पर पौधे न लगाएं। जैविक खेती से जलीय जंतुओं की वृद्धि होगी। कीटनाषक से जन्तुओं की प्रजनन क्षमता भी घट रही है। जंगल के किनारे के जानवर की बढ़ोतरी होगी। गंगा मात्र एक पानी का साधन नहीं है। बल्कि यह आस-पास की जैव विविधता पर असर डालती है। यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है।
प्रदेश सरकार के वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान मंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि गंगा के किनारे के सभी जिलों में गंगा वन लगाए जाने हैं। कासगंज जैसी कुछ जगहों पर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। कोशिश यह है कि ये वन बहुपयोगी हों और इनमें संबंधित जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार परंपरागत से लेकर दुर्लभ और औषधीय प्रजाति के पौधे लगाए जांएगे। कुछ ऐसी ही परिकल्पना गंगा सहित अन्य नदियों के किनारे बनने वाले बहुउद्देश्यीय तालाबों के किनारे होने वाले पौधरोपण के बारे में की गई है। मकसद एक है पर्यावरण संरक्षण। इससे होने वाले अन्य लाभ बोनस होंगे।
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