विजय सिंह जाट गुना। शहर के बाईपास टोल नाके के पास मौजूद बोरखेड़ा में बाहुबली पुरम के नाम से काटी जा रही कॉलोनी का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया था मामले में गुना कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी इसके बाद कलेक्टर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया कि गुना ग्रामीण तहसीलदार लीना जैन के द्वारा सर्वेनंबर 46 का जो नामांतरण निरस्त किया गया है वह गलत है उसे बहाल किया जावे, साथ ही तहसीलदार पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एसडीएम को 15 दिन में प्रतिवेदन भेजने के आदेश दिए हैं, कलेक्टर ने आवेदक सुनीता पाराशर के पति भगवत पाराशर के बयानों को भी कलेक्टर कोर्ट ने झूठा माना जिसमें याचिकाकर्ता के पति ने आदिवासी की जमीन से जमकर लाभ कमाया और बची हुई जमीन को दोबारा से रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के द्वारा बेच दी, तहसीलदार द्वारा जो नामांतरण निरस्त संबंधी आदेश दिया था उसके खिलाफ न्यायधीश मोहित श्रीवास्तव की कोर्ट से स्टे मिला हुआ है।
पहले कमाया लाभ, फिर बेची जमीन …बयान भी असत्य
न्यायालय कलेक्टर द्वारा दिए गए फैसले में माना कि आवेदक गण के पति भगवत प्रसाद पाराशर ने खुद बोरखेड़ा स्थित जमीन के सर्वे क्रमांक 46 रखवा 2.832 हेक्टर में से 1.000 हैक्टर विक्रय पत्र दिनांक 16 जनवरी 2015 द्वारा शैलेंद्रसिंह रघुवंशी से खरीदी थी उस जमीन में अनेकों छोटे छोटे प्लाट बनाकर बगैर अनुमति के बेच दिए फिर बाकी बची हुई जमीन को दोबारा से रजिस्टर्ड विक्रय पत्र द्वारा बेचकर लाभ कमाया गया, कलेक्टर ने माना कि आवेदक द्वारा उक्त आदिवासी की जमीन से लाभ कमाया गया है और बची हुई जमीन को दोबारा से बेची गई है आवेदक द्वारा बताया गया कि जब उन्हें मालूम हुआ कि जमीन आदिवासियों की है तो उन्होंने जमीन सरेंडर कर दी, दिए गए बयानों को कलेक्टर कोर्ट ने मोना की जमीन से लाभ कमाया बची हुई जमीन को रजिस्ट्री के द्वारा बेची गई ना कि सरेंडर की कलेक्टर ने कथन को झूठा माना।
तहसीलदार पर कार्यवाही करने 15 दिवस में एसडीएम भेजें प्रतिवेदन
कलेक्टर ने एसडीएम को आदेश दिया कि वह गुना ग्रामीण तहसीलदार लीना जैन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए 15 दिवस में प्रतिवेदन भेजें कलेक्टर ने माना कि तहसीलदार ने बगैर किसी सक्षम अधिकारी के नामांतरण निरस्त करने की कार्यवाही की है जो कि न्याय उचित नहीं है तहसील द्वारा किए गए इस कृत्य को कलेक्टर ने सही नहीं ठहराया, तहसीलदार लीना जैन के द्वारा 14 मार्च 2022 को बोरखेड़ा के सर्वे नंबर 46 का नामांतरण निरस्त कर दिया था जिसके विरुद्ध न्यायाधीश मोहित श्रीवास्तव की कोर्ट ने कॉलोनाइजरों को स्टे आर्डर दिया है।
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