इंदौर। प्रदेश में हजारों यात्री वाहन परिवहन आयुक्त के एक आदेश के इंतजार में फिटनेस नहीं करवा पा रहे हैं। 18 अक्टूबर से प्रदेश में चार कंपनियों के पैनिक बटन और जीपीएस न लगे होने पर वाहनों के फिटनेस अपाइंटमेंट जारी होना ही बंद हो गए हैं। इसके विरोध में वाहन मालिकों ने प्रमुख सचिव से मुलाकात की थी। इसके बाद प्रमुख सचिव ने 1 नवंबर को परिवहन आयुक्त को पत्र लिखते हुए इस व्यवस्था से चार माह की छूट दिए जाने और पूरे मामले की जांच की बात कही थी, लेकिन आयुक्त ने आज तक छूट के आदेश जारी नहीं किए हैं, जिससे प्रदेश में हजारों वाहनों का फिटनेस अटका हुआ है।
उल्लेखनीय है कि परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश में सभी यात्री वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग (वीएलटी) या जीपीएस और पैनिक बटन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इन उपकरणों के लिए प्रदेश में चार कंपनियों को भी अधिकृत किया गया है। 18 अक्टूबर से सख्ती से इस व्यवस्था को लागू करते हुए अगर वाहनों में इन चार कंपनियों में से किसी के उपकरण नहीं लगे हैं तो फिटनेस अपाइंटमेंट जारी करना ही बंद कर दिया गया है। इसके विरोध में इंदौर, भोपाल सहित प्रदेश के प्रमुख बस संचालक प्रमुख सचिव परिवहन फैज अहमद किदवई से भोपाल में मिले थे।
बस संचालकों ने बताया था कि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए अभी प्रदेश में डीलर्स के पास पर्याप्त उपकरण तक नहीं हैं। साथ ही जिन वाहन संचालकों ने पहले से दूसरी कंपनियों के उपकरण लगा रखे हैं उन्हें परिवहन विभाग का सिस्टम अब स्वीकार भी नहीं कर रहा है और फिटनेस अपाइंटमेंट जारी होना भी बंद हो चुके हैं। बस संचालकों की यह भी शिकायत थी कि उपकरणों की कीमत 7 हजार होने के बाद भी प्रदेश में अधिकृत की गई कंपनियां इनके 16 से 20 हजार रुपए तक वसूल रही हैं। इस पर प्रमुख सचिव ने खुद भोपाल सेंटर पर जाकर निरीक्षण करने के बाद आयुक्त संजयकुमार झा को 1 नवंबर को पत्र लिखा है कि वे पूरे मामले की जांच करें और बस संचालकों के सुझाव के मुताबिक उनसे चार माह में यह उपकरण लगाने के शपथ पत्र के साथ फिटनेस टेस्ट की छूट दें, ताकि वे इस अवधि में उपकरण लगवा सकें। लेकिन आयुक्त ने प्रमुख सचिव के पत्र के बाद भी आज तक ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है।
केंद्र द्वारा अधिकृत कंपनियों के उपकरण को नहीं मान रहे प्रदेश के अधिकारी
प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने जब इन उपकरणों के लिए 90 से ज्यादा कंपनियों को मान्यता दी है तो प्रदेश में सिर्फ चार कंपनियों को ही इसके लिए अधिकृत क्यों किया गया है। कई वाहनों में जो उपकरण लगे हैं, वे केंद्र द्वारा मान्यता प्राप्त कंपनियों के हैं, लेकिन प्रदेश में उन्हें अस्वीकार किया जा रहा है और फिटनेस अपाइंटमेंट तक नहीं दिए जा रहे हैं। इसके चलते उक्त चारों कंपनियां मनमानी करते हुए अवैध वसूली कर रही हैं। जिन यात्री वाहनों का फिटनेस के अभाव में संचालन बंद हो गया है, वे अब मजबूरन उपकरण लगे होने के बाद भी इन कंपनियों के उपकरण ज्यादा कीमत पर लगवा रहे हैं। इसे लेकर बस संचालकों ने परिवहन आयुक्त को जल्द इस मामले में आदेश जारी करने के लिए पत्र भी लिखा है।
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