-जानकी मंदिर में पूरी हुईं विवाह की रस्में
भोपाल (Bhopal)। बुन्देलखण्ड की अयोध्या (Ayodhya of Bundelkhand) कहे जाने वाली निवाड़ी जिले की धार्मिक एवं पर्यटन नगरी ओरछा (tourist city orchha) में रविवार की रात विवाह पंचमी (marriage panchami) पर श्रीरामराजा सरकार की बरात (Wedding procession of Sriramraja government) ठेठ बुंदली राजसी अंदाज में निकाली गई। मंदिर परिसर में सशस्त्र जवानों ने गार्ड ऑफ आनर दिया। रामराजा के साथ पालकी में भाई लक्ष्मण को विराजित किया गया। नगर भ्रमण करते हुए बुंदेली विवाह गीतों के बीच श्री रामराजा सरकार दूल्हा बनकर देर रात जनकपुरी पहुंचे।
इस दौरान महिलाओं ने बुंदेली विवाह गीत गाए। हरे बांस मंडप छाए, सिया जू खां राम ब्याहन आए, बने दूल्हा छवि देखो भगवान की, दुल्हन बनी सिया जानकी… जैसे बुंदेली लोक गीतों के साथ स्वागत व पुष्प वर्षा की गई। खजरी का मुकुट लगाए और पंखा-तिकौना के साथ निकले रामराजा सरकार को निहारने के लिए दूर-दराज से पहुंची श्रद्धालुओं की भीड़ आतुर दिखी। पालकी की एक ओर छत्र तथा दूसरी ओर चंवर था। इसे देखकर सैकड़ों वर्ष पुराने बुंदेली वैभव की याद ताजा हो गई।
मंदिर के प्रधान पुजारी रमाकांत शरण महाराज ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी रामराजा मंदिर में धूमधाम से श्रीराम-सीता विवाह महोत्सव मनाया जा रहा है। 16 दिसंबर से शुरू हुए विवाह महोत्सव के दौरान विभिन्न कार्यक्रम हुए, जिसमें हल्दी, मंडप का कार्यक्रम शामिल रहा। रविवार को भगवान श्रीराम दूल्हा बने और भगवान की बरात नगर में गाजे बाजों के साथ निकली गई। भगवान की बरात जानकी मंदिर पहुंची, जहां विवाह संस्कार संपन्न हुए। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी शामिल हुए। अब 18 दिसंबर को राम कलेवा का आयोजन किया जाएगा।
गौरतलब है कि निवाड़ी जिले के ओरछा का रामराजा मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहां स्थापित मूर्ति के बारे में प्रचलित मान्यता के अनुसार ओरछा की महारानी गनेश कुंवर पुष्य नक्षत्र में इस मूर्ति को अयोध्या से नंगे पैर पैदल चलकर ओरछा लाई थीं। श्रीराम की प्रतिमा ओरछा लाये जाने के बाद बुन्देलखण्ड में इन्हें ओरछा के राजा के रूप में मान्यता दी गई और संभवतया ओरछा के रामराजा इस मायने में भी अद्वितीय है कि इन्हें प्रतिदिन पुलिस के जवानों द्वारा बाकायदा आज भी दिन के चारों पहर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
रमाकांत शरण महाराज ने बताया कि ओरछा में विवाह पंचमी पर पिछले करीब 500 वर्षों से चली आ रही भगवान श्रीराम के सीता से विवाह की अद्भुत परंपरा का निर्वहन विधि-विधान से किया गया। प्रति वर्ष की भांति विवाह पंचमी पर यहां के प्रसिद्ध रामराजा मंदिर से बाकायदा भगवान राम की बारात जनकपुरी के लिए गाजे-बाजे के साथ निकाली गई, जिसमें भगवान रामराजा सरकार अपने अनुजों के साथ सुशोभित रहे और सारे ओरछा नगर के अलावा बाहर से आए देशी-विदेशी श्रद्धालुओं सहित सैलानी पूरे उत्साह से बाराती के रूप में शामिल होकर जनकपुरी की ओर रवाना हुए। बारात के जनकपुरी पहुंचने पर श्रीराम सीता का पाणिग्रहण संस्कार विधि विधान से संपन्न हुआ।
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