रामेश्वर धाकड़
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) की स्थिति कितनी दयनीय हो गई है कि विधानसभा (Madhya Pradesh) में सरकार का मुकाबला करने नेता (Leader) प्रतिपक्ष कमलनाथ (Kamalnath) के पास न तो समय है और न ही कोई रणनीति। यही कारण है कि कमलनाथ ने अपनी पार्टी (Party) के 12 विधायकों के बीच प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी बांट दी है। बताया जाता है कि विधानसभा (Vidhan Sabha) के बजट (Budget) सत्र के लिए कमलनाथ के पास समय की कमी है। वे अधिकांश समय दिल्ली (Delhi) में बिताना चाहते हैं, इसलिए यह फैसला किया गया है। विधानसभा में इस बार कांग्रेस विधायकों की पर्याप्त संख्या को देखते हुए लग रहा था कि प्रतिपक्ष मजबूत और धारदार होगा, लेकिन नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ इस संबंध में कोई भी रणनीति नहीं बना सके। कांग्रेस विधायक दल की पहली बैठक में ही जब यह मुद्दा उठा तो कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष के अधिकार वरिष्ठ विधायकों को देने की पहल की। कमलनाथ के निर्देश पर 12 विधायकों की एक कमेटी बनाई गई है, जो विधानसभा में कांग्रेस की रणनीति तय करेगी। इस कमेटी में डॉ. गोविंद सिंह, सज्जनसिंह वर्मा, एनपी प्रजापति, लक्ष्मणसिंह, तरूण भानोट, आरिफ अकील, कांतिलाल भूरिया, दिलीप गुर्जर, जीतू पटवारी, विजयलक्ष्मी साधो आदि को शामिल किया गया है। बताया जाता है कि कमलनाथ ने अपने विधायकों को संकेत दिए हैं कि वे विधानसभा की कार्रवाई के दौरान अधिक समय नहीं दे पाएंगे।
भाषण के लिए तोड़ी परंपरा
बुधवार (Wednesday) को कमलनाथ की व्यस्तता के कारण विधानसभा में परम्परा को तोड़ा गया। राज्यपाल (Governor) के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में परम्परा रही है कि पहले विधायक अपनी बात कहते हैं इसके बाद नेता प्रतिपक्ष का भाषण होता है फिर मुख्यमंत्री जवाब देते हैं। लेकिन कमलनाथ को चूंकि दिल्ली जाना है इसलिए बुधवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर कमलनाथ ने कांग्रेस (Congress) की ओर से सबसे पहले अपना भाषण दिया।
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