नई दिल्ली। अगर अभी तक की योजना के मुताबिक सब कुछ सही रहा तो विपक्ष अगले दस दिनों में राष्ट्रपति का संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर देगा। अनौपचारिक तौर पर सभी प्रमुख विपक्षी दलों की ओर से एक संयुक्त उम्मीदवार की सहमति बन चुकी है। रही सही कसर 15 जून को कांस्टीट्यूशन क्लब में होने वाली विपक्षी नेताओं की हाल के दौर में होने वाली सबसे बड़ी बैठक में पूरी कर ली जाएगी।
साझा उम्मीदवार घोषित करने को लेकर सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता न सिर्फ एकजुट हैं बल्कि एक साझा प्रत्याशी के लिए भी रजामंद हो चुके हैं। ऐसे में 15 जून को दिल्ली में सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ होने वाली महाबैठक राष्ट्रपति के चुनावों से पहले एक अहम बैठक मानी जा रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार पर आम सहमति बनती है तो बुधवार को होने वाली देश के प्रमुख विपक्षी दलों की महाबैठक को लोकसभा के चुनावों की “एकजुटता की नींव” के तौर पर भी देखा जाएगा।
15 जून को विपक्षी दलों की बैठक
बुधवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में होने वाली विपक्षी दलों की अहम बैठक राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रमुख विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं के मुताबिक योजना यही है कि सभी दल एकजुट होकर आम राय बनाएं और अगले 10 दिनों के भीतर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को घोषित कर दें। इसके लिए बाकायदा ममता बनर्जी और सोनिया गांधी समेत तमाम विपक्षी दल पहले से ही एकजुट होकर एक राय बनाने में लगे हुए हैं। कई नेताओं की इस संबंध में कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है।
सूत्रों की माने तो हाल के दिनों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा पहुंचे देश के एक एक प्रमुख वरिष्ठ नेता भी इस पूरे मामले में सब को एकजुट करने जुटे हुए हैं। हालांकि अभी इस बात को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है कि क्या सभी दल एक राय होंगे या नहीं। लेकिन इस पूरे मामले में सभी दलों का रुख सकारात्मक नजर आ रहा है। ऐसे में सूत्रों की माने तो बुधवार को होने वाली महा बैठक के बाद अगले 10 दिनों के भीतर राष्ट्रपति का उम्मीदवार विपक्षी दलों की ओर से सामूहिक तौर पर घोषित किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए अलग-अलग दलों के कुछ प्रमुख संभावित चेहरों की भी चर्चा हो रही है। लेकिन इन सब पर बुधवार को होने वाली बैठक के बाद बनने वाली आम राय ही महत्वपूर्ण मानी जाएगी।
22 दल के नेताओं को लिखा गया पत्र
तृणमूल कांग्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक 15 जून को दिल्ली में होने वाली इस बैठक के लिए 22 नेताओं को पत्र लिखा गया है। इसमें केरल के मुख्यमंत्री पीनाराई विजयन, तेलंगाना के चीफ मिनिस्टर के चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, पंजाब के सीएम भगवंत मान, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव समेत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर बुधवार को होने वाली बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी डी राजा और सीपीआईएम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी समेत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा, कश्मीर से प्रमुख राजनैतिक पार्टी पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला समेत शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के पवन चामलिंग समेत एनसीपी के मुखिया शरद पवार को बैठक में आमंत्रित किया गया है।
सोनिया, शरद पवार की मुलाकात
18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर के विपक्ष एकजुट होने लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसी संबंध में शरद पवार ममता बनर्जी समेत अन्य प्रमुख नेताओं से मुलाकात भी की है। सोनिया गांधी ने कहा कि देश हित में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार घोषित करना चाहिए। कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सोनिया गांधी ने इस पूरे मामले में कोऑर्डिनेट करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को जिम्मेदारी दी है। ताकि राष्ट्रपति चुनाव से पहले सभी विपक्षी दलों की एक राय बन कर एक साझा उम्मीदवार घोषित किया जा सके। कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने बताया कि सोनिया गांधी की जिन नेताओं से मुलाकात हुई है उसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए साझा उम्मीदवारी पर सकारात्मक रूप देखने को मिला है।
राष्ट्रपति चुनाव के बहाने 2024 की तैयारी
राजनैतिक विश्लेषक एमएन विजय कुमार कहते हैं कि बुधवार को होने वाली सभी प्रमुख विपक्षी दलों की बुधवार को होने वाली बैठक बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि यह बैठक सिर्फ राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों के लिए भी एक मजबूत नींव के तौर पर देखी जा रही है। विजय कुमार कहते हैं कि इस बैठक में अगर कुछ प्रमुख एनडीए के घटक दलों के लोगों को भी शामिल कर लिया जाता है तो निश्चित तौर पर 2024 में विपक्ष एक मजबूत दावेदारी के साथ लोकसभा के चुनावों में उतर सकेगा।
सूत्रों के मुताबिक बुधवार को होने वाली इस बैठक में ममता बनर्जी ने एनडीए के कुछ घटक दलों के साथ भी अपनी बातचीत को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सभी प्रमुख विपक्षी दल इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि यही एक बड़ा मौका है जब राष्ट्रपति के साझा उम्मीदवार के बहाने सभी प्रमुख विपक्षी दलों को एक साथ जोड़ने की गुंजाइश बन सकती है। योजना के मुताबिक इस बैठक के बहाने रीजनल पार्टीज को एकजुट करने के लिए भी बड़े प्रमुख विपक्षी दल अपनी योजनाएं बनाने में लगे हुए हैं।
इसमें कांग्रेस पार्टी समेत शरद पवार की एनसीपी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस फिलहाल आगे बनी हुई है। हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार घोषित करना एक अलग बात है और सभी दलों का एकजुट होकर के 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ना एक दूसरी बात है। फिर भी अगर साझा राष्ट्रपति पद के लिए सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति बनती है तो लेकिन इस महाबैठक के बाद 2024 के होने वाले लोकसभा चुनावों में सभी प्रमुख विपक्षी दलों को एक साथ लेकर चलने की रूपरेखा पर भी खाका खींचा जाना शुरू हो जाएगा।
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