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    2024 की लड़ाई मिलकर लड़ेगा विपक्ष, सोनिया संग मीटिंग में तय हुए ये 11 मुद्दे

  • August 21, 2021

    नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress interim president Sonia Gandhi) ने शुक्रवार को विपक्षी दलों के नेताओं (leaders of opposition parties) के साथ वर्चुअल तरीके से बैठक की. कांग्रेस समेत 19 दलों की बैठक में कई मुद्दों पर सहमति बनी है और विपक्ष ने सरकार के सामने 11 सूत्रीय मांग रखी है। विपक्ष ने सरकार से कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने, गरीब परिवारों को साढ़े सात हजार रुपये प्रति महीने, पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करने जैसी मांगें की हैं।


    वर्चुअल बैठक में विपक्ष ने साल 2024 की लड़ाई एकजुट होकर लड़ने का फैसला किया है. सोनिया गांधी ने दलों से लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट होने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि हम सबके अपने मतभेद हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रहित में हमें एक साथ आना होगा. बता दें कि कांग्रेस के अलावा इस बैठक में टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, शिवसेना, जेएमएम, सीपीआई, सीपीएम, एनसी, आरजेडी, एआईयूडीएफ आदि के नेताओं ने हिस्सा लिया।

    सरकार से विपक्ष ने की ये 11 मांगें
    1-विश्व स्तर पर कोरोना टीकों की खरीद और मुफ्त टीकाकरण अभियान को तुरंत तेज करें, कोविड के कारण अपनी जान गंवाने वालों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दें, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का व्यापक विस्तार करने के लिए काम करें.

    2. केंद्र सरकार को आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों को प्रति माह 7,500 रुपये की राशि ट्रांसफर करनी चाहिए. सभी जरूरतमंदों को दैनिक इस्तेमाल की सभी जरूरी वस्तुओं से युक्त मुफ्त भोजन किट बांटें.

    3- ​पेट्रोलियम और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में अभूतपूर्व बढ़ोतरी को वापस लिया जाए, रसोई गैस और आवश्यक वस्तुओं, विशेष रूप से खाना पकाने के तेल की कीमतों को कम करें और तेजी से बढ़ती महंगाई को नियंत्रित किया जाए.

    4- तीनों कृषि कानूनों को रद्द करें और एमएसपी पर कानून बनाएं.

    5- सार्वजनिक क्षेत्र में बेलगाम निजीकरण को रोकें. श्रमिक और श्रमिक वर्ग के अधिकारों को कमजोर करने वाले लेबर कोड्स को रद्द करें.

    6- एमएसएमई के पुनरुद्धार के लिए मौद्रिक प्रोत्साहन पैकेज लागू करें, इसमें कर्ज का प्रावधान नहीं होना चाहिए. हमारे आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाएं जिससे रोजगार पैदा हो और घरेलू मांग को बढ़ावा मिले. सरकारी नौकरियों में रिक्त पदों पर भर्ती करें.

    7- कम-से-कम मजदूरी दोगुनी करने के साथ 200 दिनों के लिए गारंटी के साथ मनरेगा का विस्तार करें. इसी तर्ज पर एक शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम कानून बनाएं.

    ​8- शिक्षण संस्थानों को जल्द से जल्द फिर से खोलना सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के टीकाकरण को प्राथमिकता दें.

    9- लोगों की निगरानी के लिए पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली न्यायिक जांच तत्काल करें. राफेल सौदे की उच्च स्तरीय जांच करें.

    ​10- भीमा कोरेगांव मामले में यूएपीए के तहत और सीएए विरोधी प्रदर्शनों सहित सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करें. लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के लिए राजद्रोह/एनएसए जैसे अन्य कठोर कानूनों का उपयोग करना बंद करें. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए हिरासत में लिए गए सभी मीडिया कर्मियों को रिहा करें.

    ​11- जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करें. केंद्रीय सेवाओं के जम्मू-कश्मीर कैडर सहित पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करें. जल्द-से-जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराएं.

    बैठक में किस नेता ने क्या कहा?
    सोनिया गांधी के साथ विपक्ष की बैठक में तेजस्वी यादव ने कहा कि 2024 में विपक्ष की क्या रणनीति होगी? उस पर अभी से तैयारी करनी चाहिए. विगत 7 वर्षों में विपक्ष एक ही तरीके से चुनाव लड़ रहा है. विपक्ष अपने एजेंडे पर चुनाव लड़े. मुद्दों में धार और नयापन लाने की जरूरत है. बिहार और बंगाल ने दिखाया भाजपा से कैसे लड़ा जा सकता है. महंगाई, बेरोजगारी और सरकार की जनविरोधी नीतियों से मध्यम वर्ग त्रस्त है।

    वहीं, ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस के सिलेक्टेड निमंत्रण पर सवाल उठाया. बता दें कि आम आदमी पार्टी को निमंत्रण नहीं दिया गया था. ममता बनर्जी ने कहा कि सभी विपक्षी दलों को एक पटल पर लाना चाहिए. हमारी लड़ाई बीजेपी के खिलाफ है. ऐसे में जो कांग्रेस पार्टी से कुछ दल अगर विरोधाभास भी रखते हैं तो भी उनको बुलाना चाहिए।

    झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी को भारत सरकार नेशनल डिजास्टर घोषित करे. इतनी बड़ी आपदा को केंद्र सरकार अबतक राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं कर रही है, यह बात समझ से परे है. हम सभी को वैश्विक महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करनी चाहिए. इस महामारी में जितने लोगों की जानें गई हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए. जो लोग जीवन बचाने के लिए जमीन-जायदाद, गहने इत्यादि बेचकर इलाज कराए हैं, उनके पास जीवन यापन के लिए 1 रुपए भी नहीं बचा है. उनका आने वाला भविष्य कैसे सुरक्षित हो यह चिंतनीय विषय है।

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