नई दिल्ली। संसद में हमारे माननीयों का ‘अमर्यादित व्यवहार’ हाल में कई बार देखने को मिला है। मंगलवार को राज्यसभा (Rajyasabha) में दोबारा कुछ ऐसा हुआ जिसने देश को शर्मसार किया। इस दौरान कृषि कानूनों के विरोध में हंगामा करते हुए विपक्षी दल के नेता वेल में पहुंच गए। फिर डेस्क पर चढ़कर आसन की तरफ रूल बुक फेंक दी। पानी सिर के ऊपर चढ़ गया तो राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
इस हंगामे का नेतृत्व किया कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा (Congress leader Pratap Singh Bajwa) ने। हंगामे का वीडियो क्लिप सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल हो गया। और तो और बाजवा ने यह भी कहा कि उन्हें राज्यसभा (Rajyasabha) में हंगामा करने का कोई पछतावा नहीं है। वह कृषि कानूनों (agricultural laws) के खिलाफ आवाज उठाने के लिए किसी भी तरह की कार्रवाई का सामना करने को तैयार हैं।
जब सदन में किसानों के मुद्दों पर चर्चा शुरू होनी थी तब विपक्षी सदस्यों के विरोध के दौरान अधिकारियों की मेज पर चढ़कर बाजवा को आसन की ओर एक ‘ऑफिशियल फाइल’ (‘official file’) फेंकते देखा गया।
उन्होंने कहा, ‘मुझे कोई पछतावा नहीं है। अगर सरकार हमें तीन काले कृषि विरोधी कानूनों पर चर्चा करने का मौका नहीं देती है तो मैं इसे 100 बार फिर से करूंगा।’ बाजवा बोले, ‘मुझे खुशी होगी अगर सरकार किसानों के मुद्दों को उजागर करने और किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग करने के लिए मुझे दंडित करेगी। एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं किसानों और उनके मुद्दों के साथ खड़ा हूं।’
तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी विरोध कर रहे सांसदों का वीडियो ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘आज राज्यसभा में सितंबर 2020 दोहराया गया। सभी विपक्षी दलों ने सरकार के झांसों के खिलाफ आह्वान किया। किसानों का सड़कों पर, संसद के अंदर सांसदों का विरोध। पेगासस पर चर्चा से सरकार भाग रही है। सरकार कृषि कानूनों को निरस्त करने से भाग रही है।’
क्यों हुआ इतना हंगामा?
भोजन के बाद 2 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई। अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता ने कृषि संबंधी समस्याओं को लेकर संक्षिप्त चर्चा शुरू करने की अपील की। बताया जाता है कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को नियमों के विरुद्ध जाकर अल्पकालिक चर्चा में बदल दिया गया। इसी के चलते विपक्षी दल के सांसद नाराज हो गए। कई बार हुए हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। भाजपा ने विपक्षी सांसदों के व्यवहार को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
सत्ता पक्ष और विपक्ष का क्या है कहना?
‘सत्र का धुल’ जाना जैसे शब्दों का हाल के कुछ वर्षों में बार-बार इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन, मौजूदा मॉनसून सत्र में जिस तरह का हंगामा जारी है, वह शायद बीते कुछ साल में नहीं दिखा। पेगासस, कृषि कानूनों और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष संसद को चलने नहीं दे रहा है। उसका कहना है कि सरकार चर्चा से भाग रही है। वहीं, सरकार का कहना है, वह हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
घंटों हो चुके हैं बर्बाद
सोमवार से संसद के मॉनसून सत्र का चौथा हफ्ता शुरू हुआ। संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के तीसरे हफ्ते में राज्यसभा में आठ विधेयक पारित हुए। 19 जुलाई को मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी कांड और किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि बीते तीन सप्ताह के दौरान सदन में कुल 17 घंटे 44 मिनट काम हुआ है। इनमें से चार घंटे 49 मिनट सरकारी विधेयकों पर व्यय हुआ, तीन घंटे 19 मिनट प्रश्नकाल में व्यय हुए और चार घंटे 37 मिनट में कोविड-19 संबंधी मुद्दों पर संक्षिप्त चर्चा हुई। आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून सत्र शुरू होने से करीब 78 घंटे 30 मिनट के समय में 60 घंटे 28 मिनट हंगामे की वजह से बर्बाद हुए हैं।
राज्यसभा के अनुसंधान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, तीसरे हफ्ते सदन की प्रोडक्टिविटी बढ़कर 24.2 फीसदी हो गई। सत्र के दूसरे हफ्ते प्रोडक्टिविटी 13.70 फीसदी थी। वहीं, सत्र के पहले हफ्ते उच्च सदन की उत्पादकता सबसे अधिक 32.20 फीसदी रही थी। राज्यसभा के अधिकारी ने बताया कि मॉनसून सत्र के शुरुआती तीन सप्ताह में राज्यसभा की कुल प्रोडक्टिविटी 22.60 फीसदी रही।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved