इंदौर। पहले तो कपड़े पर 5 प्रतिशत जीएसटी (GST) लगाया, अब उसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की घोषणा केंद्र सरकार (Central Government) ने कर दी, जो अगले साल की पहली तारीख से लागू हो जाएगी। इसके विरोध में कपड़ा व्यापारी (clothes trader) उतर आए हैं। उनका कहना है कि कोरोना (corona) ने पहले ही व्यापार चौपट कर रखा है, ऐसे में सरकार द्वारा 7 प्रतिशत टैक्स और बढ़ाना व्यापार को खत्म कर देगा।
पिछली बार भी जब केंद्र ने कपड़ा व्यापार पर 5 प्रतिशत टैक्स बढ़ाया था तब पूरे देश में कपड़ा व्यापार बंद कर दिया गया था। विशेषकर सूरत में तो लंबे समय तक मार्केट बंद रहा, लेकिन व्यापारियों को ही हार मानना पड़ी थी। अब इस टैक्स को12 प्रतिशत किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में इसको लेकर आंदोलन की योजना बनाई गई है। फिलहाल कपड़ा व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकान पर टैक्सवृद्धि नहीं करने को लेकर पोस्टर लगा रखे हैं। इंदौर (indore) के कपड़ा मार्केट (cloth market) के व्यापारी कल सांसद शंकर लालवानी (MP Shankar Lalwani) से मिले। एमटीएच क्लॉथ मार्केट (MTH cloth market) के अध्यक्ष हंसराज जैन (president hansraj jain) के साथ कैलाश मंूगड़, रजनीश चौरडिय़ा, अरुण बाकलीवाल, मनोज नीमा, गिरीश काबरा, सुनील रामपुरिया, कैलाश खंडेलवाल सहित प्रमुख कपड़ा व्यापारियों ने लालवानी से कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार 7 प्रतिशत और टैक्स बढ़ाकर हम पर अतिरिक्त भार सौंप रही है, उसका नुकसान कपड़ा व्यापार को उठाना पड़ेगा। यूं भी कपड़ा व्यापार अधिकांश उधारी पर ही होता है और 6 से 7 महीने की उधारी दी जाती है, लेकिन व्यापारी को लेन-देन के वक्त ही टैक्स चुकाना होगा। 12 प्रतिशत टैक्स चुकाने के बाद जब उसका पैसा आएगा, तब उसकी रिबेट आएगी। इस तरह वह अपना पैसा लंबे समय तक फंसाए रखेगा और उसे नुकसान होगा। व्यापार की पूंजी भी उलझ जाएगी। वहीं इसका सबसे बड़ा असर आम लोगों पर होगा, क्योंकि कपड़ा अनिवार्य वस्तुओं में आता है। इससे महंगाई और बढ़ेगी। अध्यक्ष जैन ने बताया कि फिलहाल तो हम शांतिपूर्वक विरोध कर रहे हैं और सांसद से मांग की है कि हमारा ज्ञापन केंद्र सरकार तक पहुंचाएं और 1 जनवरी 2022 से की जाने वाली टैक्स वृद्धि को रोकें। व्यापारियों ने यह भी कहा कि अगर सरकार टैक्सवृद्धि वापस नहीं लेती है तो हमें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके लिए दूसरी एसोसिएशनों (association) से भी बात चल रही है।
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