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    पीएमजीकेएवाई ‘बंद’ करने पर विपक्ष ने केंद्र पर साधा निशाना

  • November 09, 2021


    नई दिल्ली। विपक्ष (Opposition) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को बंद (band) करने को लेकर केंद्र सरकार (Central govt.) पर निशाना साधते (Targets) हुए कहा कि यह योजना कम से कम मार्च 2022 तक जारी रहनी चाहिए, क्योंकि देश 2021 ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 101वें स्थान पर है और बेरोजगारी के मुद्दों का सामना कर रहा है।


    विपक्ष की आलोचना खाद्य सचिव सुधांशु पांडे के 5 नवंबर के उस बयान के बाद सामने आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब केंद्र के पास पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त राशन के वितरण को 30 नवंबर से आगे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
    एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई), जिसके तहत सबसे गरीब लोगों को खाद्यान्न वितरित किया जाता है, उसको नवंबर में नहीं रोका जाना चाहिए जैसा कि सरकार द्वारा घोषित किया गया है। यह 31 मार्च, 2022 तक जारी रहनी चाहिए, क्योंकि हम सभी ने नवीनतम हंगर इंडेक्स द्वारा उद्धृत देश में भूख की स्थिति देखी है।”

    6 नवंबर को, सीपीआई-एम के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट करते हुए कहा था, “जैसे-जैसे भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में और नीचे आता जा रहा है, इस छोटी सी अपर्याप्त योजना को भी खत्म किया जा रहा है। जरूरतमंदों को नकद हस्तांतरण और खाद्य किट सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार कर्तव्यबद्ध है। यह जनता का पैसा है और लोगों को अभी इसकी जरूरत है।”
    इस योजना की घोषणा मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान की गई थी। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा संचालित इस योजना का उद्देश्य सभी प्राथमिकता वाले परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अनाज उपलब्ध कराकर देश के सबसे गरीब नागरिकों तक खाने की पहुंच सुनिश्चित करना है। इसके तहत राशन कार्ड रखने वाले प्रत्येक परिवार को प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल या गेहूं और 1 किलो दाल प्रदान की जाती है।

    सरकार के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर की शुरूआत के बाद से, पीएमजीकेएवाई को एक बार फिर से दो महीने (मई और जून 2021) की अवधि के लिए शुरू किया गया था और इसे आगे पांच महीने (जुलाई से नवंबर 2021) की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था। देश में लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत कवर किया गया था।

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