नई दिल्ली। शिनजियांग (xinjiang) में मानवाधिकारों की स्थिति (human rights status) पर मतदान (vote) से दूर रहने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि किसी देश विशेष से जुड़े प्रस्ताव पर मतदान नहीं करना कूटनीति (diplomacy) पर आधारित है। भारत ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए बातचीत का पक्षधर है। शिनजियांग प्रांत के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। बता दें कि भारत ने शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए यूएनएचआरसी (UNHRC) में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था।
47 सदस्यीय परिषद में यह मसौदा प्रस्ताव खारिज हो गया, क्योंकि 17 सदस्यों ने पक्ष में तथा चीन सहित 19 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। भारत, ब्राजील, मैक्सिको और यूक्रेन सहित 11 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, ब्रिटेन और अमेरिका के एक कोर समूह द्वारा पेश किया गया था, और तुर्की सहित कई देशों ने इसे सह-प्रायोजित किया था।
चीन में उइगर और अन्य मुस्लिम बहुल समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों को 2017 के अंत से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र के ध्यान में लाया जाता रहा है।
प्रवक्ता बागची ने शुक्रवार को कहा, ‘शिजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें इसकी गारंटी दी जानी चाहिए। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष निष्पक्ष और उचित तरीके से स्थिति को संभालेंगे।’ बागची की यह टप्पिणी भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में चीन के शिनजियांग में मानवाधिकार की स्थिति पर मतदान से दूर रहने के एक दिन बाद आई है।
उन्होंने संरा में भारत के अनुपस्थित रहने के मुद्दे पर कहा, ‘यूएनएचआरसी में भारत का वोट उसकी लंबे समय से चली आ रही स्थिति के अनुरूप है कि देश विशष्टि संकल्प कभी मददगार नहीं होते हैं। भारत ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए बातचीत का पक्षधर है।’ उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष स्थिति को निष्पक्ष और उचित तरीके से संभालेंगे। उन्होंने कहा, ‘भारत सभी मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है।’
विपक्ष के सवाल
मतदान में भारत के अनुपस्थित रहने को लेकर विपक्षी दलों ने शुक्रवार को सरकार की आलोचना की। विपक्षी दलों ने कहा कि जो सच है, उस बारे में भारत को बोलना चाहिए और अपने पड़ोसी देश से डरना नहीं चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने हैरानी जताते हुए कहा कि ‘चीन पर काफी झिझक’ वाला रुख है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत सरकार चीनी घुसपैठ पर संसद में चर्चा कराने के लिए सहमत नहीं होगी। शिंजियांग में मानवाधिकारों पर चर्चा के लिए एक प्रस्ताव पर यूएनएचआरसी में भारत अनुपस्थित रहेगा।’ तिवारी ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्रालय ताइवान का दौरा करने के लिए सांसदों को मंजूरी नहीं दे रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने कहा, ‘उन्हें (चीन को) अपनी जमीन दे देना और उन्हें जिम्मेदार ठहराने से दूर रहना… यह असल में क्या है जो (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी चीन से इतने भयभीत हैं?’
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ‘उइगर मुद्दे पर UNHRC में चीन की मदद करने ‘संबंधी भारत के फैसले का कारण प्रधानमंत्री मोदी से जानना चाहा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘क्या (चीन के राष्ट्रपति) शी जिनपिंग को नाराज करने से वह इतना डरते हैं कि भारत सच बात नहीं बोल सकता है?’ शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘लाल आंख से लेकर बंद आंख तक का सफ़र।’
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