नई दिल्ली। विपक्ष (Opposition) और सरकार (Government) द्वारा राज्यसभा (Rajyasabha) में अव्यवस्था के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाने के एक दिन बाद, विपक्षी सदस्य गुरुवार को सदन के सभापति (Chairman) एम. वेंकैया नायडू के दरवाजे पर अपना पक्ष (Presented its stand) लेकर गए।
कांग्रेस, शिवसेना के प्रतिनिधियों सहित एक संयुक्त विपक्षी प्रतिनिधिमंडल ने राज्यसभा के सभापति से मुलाकात की और बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हमने सभापति को कल हुई घटना के बारे में अवगत कराया है क्योंकि 40-50 लोगों को बाहर से लाया गया था और महिला सांसद हाथापाई की गई।”
14 नेताओं द्वारा जारी एक संयुक्त विपक्षी बयान में कहा गया है, “यह सरकार है, जो गतिरोध के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। सरकार ने विपक्ष की दोनों सदनों में एक सूचित बहस की मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। सरकार ने अपने बहुमत का इस्तेमाल अपने पक्ष को आगे बढ़ाने के लिए किया।”
सरकार के प्रतिनिधियों – पीयूष गोयल, प्रल्हाद जोशी और मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को हुई इस घटना के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया था।
गोयल ने बुधवार को मांग की कि सभापति को सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन करना चाहिए, जैसा कि पहले लोकसभा में किया गया था, और ‘सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.. केवल निलंबन से काम नहीं चलेगा।’ उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष ने पहले दिन से ही योजना बना ली थी कि वह सदन को चलने नहीं देगी, हालांकि सदन ने 21 विधेयक पारित कर दिए।
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