नई दिल्ली (New Delhi)। नीति आयोग (Policy Commission)की बैठक को लेकर विपक्ष के दलों (Opposition parties)का अलग-अलग रुख (different stances)सामने आ रहा है। एक तरफ ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)और हेमंत सोरेन(hemant soren) जैसे विपक्षी दलों से जुड़े मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में शामिल होकर बजटीय आवंटन सहित केंद्र द्वारा राज्यों से भेदभाव के मुद्दे को उठाना चाहते हैं। वहीं, कांग्रेस ने इसका बहिष्कार करने का फैसला किया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि वो नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेंगी। ममता ने यह भी दावा किया है कि उनके साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीति आयोग की बैठक का हिस्सा बनेंगे। हालांकि, अभी तक हेमंत सोरेन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। उन्होंने अपने पिछले दिल्ली दौरे के वक्त यह जरूर कहा था कि जब नीति आयोग की बैठक होगी तो वे राज्य से जुड़े मुद्दे को उठाएंगे।
दिल्ली में 27 जुलाई को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। बैठक में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विकसित भारत 2047 दस्तावेज पर चर्चा की जाएगी। साथ ही 27 से 29 दिसंबर, 2023 के दौरान आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी। नीति आयोग की बैठक में पेयजल की पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता, बिजली की गुणवत्ता, एफिशिएंसी और विश्वसनीयता, स्वास्थ्य की पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति की पहुंच, डिजिटलीकरण, रजिस्ट्रेशन और म्यूटेशन के मुद्दे सहित राज्यों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
उधर, ममता बनर्जी ने कहा, मैंने पहले ही फैसला कर लिया है कि मैं जाऊंगी, लेकिन केंद्र का रवैया अलग है। उन्होंने हमसे कहा है कि हमें लिखकर भेजें कि किस तरह से बंगाल को बजट से वंचित किया गया है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। ममता का कहना है कि यह भेदभाव पसंद नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट में केंद्र सरकार ने भेदभाव किया है। इसीलिए मैंने अपनी आवाज उठाने के लिए नीति आयोग की बैठक में जाने का फैसला किया है। कुछ समय के लिए वहां बैठक में रहूंगी। अगर वे हमें कुछ कहने की इजाजत देंगे तो हम अपनी बात रखेंगे। ममता ने कहा, केंद्र सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक नाकेबंदी की है। भाजपा लोगों को और बंगाल को बांटना चाहती है।
गौरतलब है कि इंडिया ब्लॉक में शामिल विपक्षी दलों ने ऐलान किया है कि वो शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार करने का दावा किया है। इसमें केरल, पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश शामिल हैं।
योजना आयोग को बहाल करना चाहिए: ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग को बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, जब से नीति आयोग की योजना बनी, मैंने एक भी काम होते नहीं देखा है, क्योंकि उसके पास कोई शक्ति नहीं है। पहले योजना आयोग था। एक मुख्यमंत्री के तौर पर…उस समय मैंने देखा कि एक व्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि योजना आयोग के तहत राज्य सरकारों को अपने मुद्दों पर चर्चा करने का अधिकार था और यह विभिन्न क्षेत्रों में राज्यों का ख्याल रखने के लिहाज से बहुत अच्छा था। लेकिन, अब कोई उम्मीद नहीं है, कोई गुंजाइश नहीं है। नीति आयोग को खत्म कर देना चाहिए।
ममता बनर्जी ने कहा, मैं नीति आयोग को खत्म करने के लिए आवाज उठाऊंगी। इसका कोई वित्तीय निहितार्थ नहीं है। वे कुछ नहीं कर सकते, केवल अपना चेहरा दिखाने के लिए साल में एक बार बैठक करते हैं। कृपया योजना आयोग को फिर से वापस लाएं। उन्होंने कहा, यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की योजना थी और आजादी के बाद से योजना आयोग ने देश के लिए बहुत काम किया।
नीति आयोग की बैठक में उठेंगे कई मुद्दे
नीति आयोग की बैठक में कई मुद्दे उठेंगे। बैठक में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ‘विकसित भारत@2047’ दस्तावेज पर चर्चा की जाएगी। साथ ही 27 से 29 दिसंबर के दौरान आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी। नीति आयोग की बैठक में पेयजल की पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता, बिजली की गुणवत्ता, एफिशिएंसी और विश्वसनीयता, स्वास्थ्य की पहुंच आदि मुद्दे सहित राज्यों से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
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