नई दिल्ली। विपक्षी दलों (Opposition) के 12 सांसदों (12 MPs) के निलंबन (Suspension ) पर लोकसभा और राज्यसभा से विपक्षी सांसदों (Opposition MPs) ने वॉक आउट (Walkout) किया। विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा (Gandhi statue) पर विरोध प्रदर्शन (Protest) किया।
इसके पहले, सभापति वेंकैया नायडू ने मंगलवार को 12 सांसदों के निलंबन को वापस लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘ सांसद अपने किए पर पश्चाताप होने की बजाय, उसे न्यायोचित ठहराने पर तुले हैं। ऐसे में सांसदों के निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। राज्यसभा के सभापति को संसदीय कानून की धाराओं 256, 259,266 समेत अन्य धाराओं के तहत अधिकार मिला है कि वो कार्रवाई कर सकता है और सदन भी कार्रवाई कर सकती है। सोमवार की कार्रवाई सभापति की नहीं, बल्कि सदन की थी। सदन में इस संबंध में प्रस्ताव लाया गया जिसके आधार पर कार्रवाई हुई है।’
इसी के बाद विपक्षी सांसदों ने दोनों सदनों से वॉकआउट किया और संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया। राज्यसभा ने जिन 12 सांसदों को निलंबित किया है उनमें छह कांग्रेस पार्टी के सांसद हैं। अन्य छह सांसद तृणमूल कांग्रेस,सीपीआई,सीपीएम और शिवसेना से शामिल हैं।
इससे पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड्गे की अगुवाई में विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें 16 दलों के नेता राज्यसभा के 12 संसदों के निलंबन के मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए शामिल हुए। इस मसले पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि माफी का सवाल ही नहीं उठता। पुराने हंगामे के लिए सोमवार को कार्रवाई हुई। ये कैसा न्याय है। राज्यसभा अध्यक्ष को सांसदों का निलंबन वापस लेना होगा।
बैठक के बाद खड़गे ने नियमों का हवाला देते हुए सदन में कहा कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है। इसलिए ये फैसला वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसदीय नियम 256(2) कहता है कि सदन में किसी सदस्य या कई सदस्यों के अमर्यादित आचरण पर सभापति ऐसे सदस्य या सदस्यों का नाम लेकर सदन के सामने प्रष्ट रखे कि क्या इन सदस्यों पर कार्रवाई का प्रस्ताव लाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, राज्यसभा सदस्य के निलंबन के केवल दो मानदंड हैं। एक तो निलंबन से पहले सभापति ऐसे सदस्यों का नाम लें, जिसके बाद ही निलंबन प्रस्ताव लाया जा सकता है। अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रक्रिया उसी तारिख तक प्रासंगिक होगी जिस दिन सदस्यों का अमर्यादित व्यहार सामने आया। ये निलंबन सोमवार की कार्यवाही के आधार पर नहीं हुआ। हालांकि राज्यसभा अध्यक्ष ने निलबंन वापस लेने से साफ इंकार कर दिया।
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