नई दिल्ली: राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. इस दौरान उन्होंने कहा कि संविधान की प्रति लेकर कूदने वालों ने संविधान दिवस का विरोध किया था. पीएम की इस टिप्पणी पर विपक्षी सांसद तिलमिला गए और उन्होंने हंगामा किया. साथ ही साथ कहा कि बोलने दो, बोलने दो. इसके अलावा विपक्ष ने पीएम मोदी के बीच भाषण में वॉकआउट किया. वहीं, पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह से संविधान की वजह से उन्हें संसद तक पहुंचने का मौका मिला.
पीएम मोदी ने विपक्ष के वॉकआउट पर कहा है कि देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती है. खुद के उठाए गए सवालों के जवाब सुनने की हिम्मत तक नहीं है. विपक्ष उच्च सदन को अपमानित कर रहा है. देश की जनता ने हर प्रकार से उन्हें (विपक्ष) को पराजित कर दिया है कि उनके पास गली मोहल्ले में चीखने के सिवा कुछ बचा नहीं है. नारेबाजी, होहल्ला और मैदान छोड़कर भाग जाना यही उनके नसीब में लिखा हुआ है.
विपक्ष के वॉकआउट पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अत्यंत दर्दनाक, पीड़ादायक आचरण है. मैंने चर्चा कर विपक्षी नेता को बिना रोक-टोक के बोलने का अवसर दिया. आज विपक्ष सदन छोड़कर नहीं गया बल्कि मर्यादा छोड़कर गया है. आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई बल्कि भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है. संविधान की शपथ का अनादर किया है. भारत के संविधान की इससे बड़ी अपमानित बात नहीं हो सकती है.
पीएम मोदी ने कहा कि आपकी वेदना मैं समझ सकता हूं, 140 करोड़ देशवासियों ने जो निर्णय दिया है, जो जनादेश दिया है, उसे ये पचा नहीं पा रहे हैं. कल उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं, तो आज उनका वो लड़ाई लड़ने का हौसला भी नहीं था, इसलिए वो मैदान छोड़कर भाग गए. मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ हूं, मैं यहां डिबेट पर स्कोर करने नहीं आया हूं. मैं तो देश का सेवक हूं, देशवासियों को मेरा हिसाब देने आया हूं. देश की जनता को मेरे पल-पल का हिसाब देना, मैं अपना कर्तव्य मानता हूं.
वहीं, पीएम मोदी ने संविधान को लेकर कहा कि मेरे जैसे अनके लोग हैं, जिनको बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के कारण यहां तक आने का अवसर मिला है. आमजन ने मुहर लगाई और तीसरी बार भी आने का अवसर मिला. जब लोकसभा में जब हमारी सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे तो मैं हैरान हूं कि जो आज संविधान की प्रति लेकर घूमते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन्होंने विरोध किया था कि 26 जनवरी तो है, फिर संविधान दिवस क्यों लाएं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज संविधान दिवस के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों को संविधान की भावना को, संविधान की रचना में क्या भूमिका रही है, देश के गणमान्य महापुरुषों ने संविधान के निर्माण में किन कारणों से कुछ चीजों को छोड़ने का निर्णय किया और किन कारणों से कुछ चीजों को स्वीकार करने का निर्णय किया इसके विषय में विस्तार से चर्चा हो. एक व्यापक रूप से संविधान के प्रति आस्था का भाव जगे और संविधान के प्रति समझ विकसित हो. संविधान हमारी प्रेरणा रहे इसके लिए हम कोशिश करते रहे हैं.
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