यरूशलम। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू(Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu) प्रधानमंत्री पद (Prime Minister’s post) से वंचित हो सकते हैं। उनके विरोधी अब इसकी कवायद में जोर-शोर से लगे हुए हैं। विरोधियों का पूरा जोर नेतन्याहू (Netanyahu) को पीएम पद से हटाकर सत्ता पर बैठना है और इस पूरे राजनीतिक घमासान में विरोधियों की नजरें दक्षिणपंथी नेता नफ्ताली बेनेट (Right-wing leader Naftali Bennett) पर लगी हुई हैं। हालांकि नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी और विपक्षी नेता याइर लैपिड(Opposition leader Yair Lapid) को इस काम में मुश्किलें आ रही हैं। रविवार को उन्होंने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) को पद से हटाने और नए गठबंधन के साथ सरकार बनाने की घोषणा की थी।
इसके बाद रविवार को पीएम नेतन्याहू ने विरोधियों की इस कोशिश को नाकाम बनाने की पूरी कोशिश की थी। उन्होंने अपने एक संदेश में देश की पार्टियों और सत्ता हथियाने में लगे नेताओं को कहा कि इस वक्त देश बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। इसलिए भविष्य को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में विरोधियों को किसी भी तरह के अप्रत्याशित कदम उठाने से बचना चाहिए। ऐसे नाजुक समय में व्यग्तिगत हित के लिए आए विचारों को त्यागना चाहिए।
इजरायली मीडिया में यहां तक कहा गया है कि नेतन्याहू को हटाने के लिए विरोधी पार्टियों के बीच जल्द ही कोई समझौता हो सकता है। नेतन्याहू देश में सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री पद संभालने वाले नेता हैं। हालांकि बीते कुछ समय में देश में हुए चार चुनावों में नेतन्याहू की पार्टी बहुमत नहीं जुटा पाई है। हाल ही में फलस्तीन के गाजा में हमास से 11 दिन लंबी चली लड़ाई के दौरान जिस तरह से नेतन्याहू के आदेश पर गाजा में ताबड़तोड़ हमले किए गए थे, उससे माना जा रहा था कि उन्होंने अपना राजनीतिक मकसद इससे पूरा कर लिया है। माना ये भी जा रहा था कि इस कार्रवाई से उनकी लोकप्रियता में वृद्धि आएगी और वो बहुमत हासिल करने में सफल हो जाएंगे। विपक्ष के प्रमुख याइर लैपिड के गठबंधन सरकार बनाने की समय सीमा बुधवार को समाप्त हो रही है। कहा जा रहा है कि वो समझौते के काफी करीब हैं। हालांकि उनकी सारी उम्मीद यामिना पार्टी के नफ्ताली बेनेट पर टिकी हुई हैं। यामिना पार्टी को पिछले चुनाव में छह सीटें हासिल हुई थीं। अभी तक बेनेट और लैपिड की पार्टी किसी एक समझौते पर सहमति नहीं जता सकी हैं। इस बीच उनके हाथों से समय भी तेजी के साथ निकल रहा है। बेनेट ने कहा है कि उनका विचार अपने दोस्त लैपिड के साथ मिलकर एक नेशनल यूनाइट सरकार का गठन करना है। भगवान भी यही चाहते हैं कि हम लोग देश को बचाने और उसको अपने मकसद पर वापस लाने के लिए साथ आएं। विपक्ष की योजना है कि आने वाले दो वर्षों में दोनों ही पार्टियों के प्रमुखों को बारी-बारी से देश का प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। इसमें बेनेट पहले पीएम बनेंगे। रविवार को विपक्षी पार्टियों के नेताओं की इस मुद्दे को लेकर बैठक भी हुई थी। बेनेट नेतन्याहू केबिनेट के सबसे ऊंचे पद पर हैं, वहीं वो पीएम के करीबी सहयोगी भी रह चुके हैं। हालांकि अब इन दोनों के बीच काफी दूरियां आ चुकी हैं। उन्होंने पूर्व में नेतन्याहू को समर्थन देने के मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा था कि मार्च में हुए चुनावों के बाद उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। इसके बाद हुए चुनाव में भी यही समस्या रही, लेकिन अब ऐसी कोई समस्या नहीं रहेगी और ये चक्र भी टूट जाएगा। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार तभी सफलता की सीढि़यां चढ़ती है जब सभी लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं। ऐसे में हर किसी को अपनी निजी हितों को त्यागना पड़ता है। उनके मुताबिक उनका पूरा फोकस इस बात को लेकर है कि हम आगे क्या कर सकते हैं न कि इस बात पर कि हम सारा दिन लड़ते रहे, जो कि संभव नहीं है।