नई दिल्ली (New Delhi) । दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के साथ आना और आप का विपक्ष की बैठक (opposition meeting) के लिए हां कहना, इसकी पटकथा तैयार करने में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की बड़ी भूमिका सामने आई है। इससे पहले संयुक्त विपक्ष का फॉर्मूला कोई रंग लेने से पहले ही अपनी रंगत खोता नजर आ रहा था। लेकिन रविवार को अचानक से मामले में यू-टर्न आ गया और 18 जुलाई को दूसरी बैठक से ठीक पहले संयुक्त विपक्ष की मुहिम एक बार फिर रंग लाती नजर आने लगी। आखिर कैसे बनी विपक्ष की बिगड़ी बात और ममता बनर्जी की इसमें क्या भूमिका रही, आइए जानते हैं सबकुछ…
निभाई बड़ी भूमिका
23 जून को पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक हुई। इस दौरान आम आदमी पार्टी ने केंद्र द्वारा दिल्ली सरकार के खिलाफ पारित अध्यादेश पर विपक्ष का साथ मांगा। जवाब में कांग्रेस ने उसे स्पष्ट जवाब दे दिया कि इस पर बात नहीं होगी। इसके बाद से यह मुद्दा संयुक्त विपक्ष की एकता में रंग में भंग डालता नजर आ रहा था। हालांकि अब बात बन चुकी है और जानकारी के मुताबिक इसके पीछे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ ममता बनर्जी की भी बड़ी भूमिका बताई जा रही है।
कांग्रेस में था विरोध
यह भी बताया जाता है कि अध्यादेश पर आप का साथ न देने को लेकर कांग्रेस के अंदरखाने भी विरोध था। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन के विरोध के बाद पार्टी साइलेंट मोड में चली गई थी। उधर पंजाब में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता ओपी सैनी की गिरफ्तारी के बाद मामला फिर गड़बड़ाता नजर आ रहा था। मॉनसून सत्र में कुछ दिन बाकी रहते आप ने इशारा कर दिया था कि कांग्रेस के बयान से पहले वह कुछ नहीं कहेगी। ऐसे में जब खड़गे ने आप मुखिया अरविंद केजरीवाल को विपक्ष की अलगी बैठक के लिए फोन किया तो उन्होंने कोई आश्वासन नहीं दिया।
यहां हुई नीतीश-ममता की एंट्री
उधर शनिवार को बैठक में भी कांग्रेस तय नहीं कर पाई कि मॉनसून सत्र में अध्यादेश पर उसका रुख क्या होगा। इसके बाद ही विपक्षी दलों के कान खड़े हो गए। ठीक इसी वक्त नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की एंट्री होती है। इन दोनों ने कांग्रेस नेतृत्व को समझाया कि जब तक वह अपना रुख स्पष्ट नहीं करेंगे, विपक्षी एकता की दीवार को मजबूती देना असंभव होगा। बताते हैं कि इसके बाद ममता बनर्जी ने खड़गे को फोन7 किया और कांग्रेस का रुख स्पष्ट हो गया। वहीं, रविवार शाम को एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक के बाद आप ने 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली बैठक पर मुहर लगा दी।
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