रांची । डोमिसाईल पॉलिसी (Domicile Policy) और आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि (Increase in Reservation Percentage) से जुड़े विधेयकों को लेकर (On Bills related to) झारखंड विधानसभा में (In Jharkhand Assembly) शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन (Last Day of Winter Session) शुक्रवार को विपक्षी भाजपा के विधायकों (Opposition BJP MLAs) ने जोरदार हंगामा किया (Created Ruckus) ।
ये विधेयक पिछले महीने झारखंड विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र के दौरान पारित किए गए थे। इन्हें लेकर भाजपा विधायक अमित मंडल ने सवाल उठाया था कि विधि विभाग की गंभीर आपत्तियों के बाद भी इन दोनों विधेयकों को सरकार ने कैसे पारित कराया ? इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खतियानी जोहार यात्रा कर रहे हैं, क्या राज्य में 1932 आधारित स्थानीय नीति लागू हो गई है ?
भाजपा विधायक के सवाल पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाईल पॉलिसी और आरक्षण बढ़ाने संबंधी बिल को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के प्रस्ताव के साथ पारित कराया गया और इसे आगे की कार्यवाही के लिए राज्यपाल को भेज दिया गया है। मंत्री ने कहा कि विधि विभाग की जो भी शंकाएं थी, उन्हें दूर करके ही ये विधेयक भेजे गए हैं। अब इन्हें नौवीं अनुसूची में शामिल कराने का काम केंद्र को करना है। उन्होंने कहा कि विधि विभाग की राय के मुताबिक पार्लियामेंट के पास लोक नियोजन में समानता का जो अधिकार है, उसके तहत वह इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कर सकती है। ऐसा होने के बाद ये दोनों प्रावधान राज्य में लागू हो जाएंगे।
मंत्री के इस जवाब पर भाजपा के विधायक असंतुष्ट थे। वे इसपर और सवाल पूछने और सदन में चर्चा की मांग कर रहे थे। स्पीकर ने इसपर कहा कि सरकार की ओर से जवाब दे दिया गया है। अब इसपर चर्चा नहीं करा सकते हैं। इससे नाराज होकर भाजपा के विधायक वेल में जाकर हंगामा करने लगे। स्पीकर की बार-बार की अपील के बाद भी जब भाजपा के विधायक अपनी सीटों पर नहीं लौटे तो विधानसभा की कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
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