नई दिल्ली (New Delhi) । पहले कांग्रेस (Congress) का खाता फ्रीज (account freeze) करना और बाद में आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल की गिरफ्तारी (Kejriwal arrest) के साथ ही चुनाव (Election) के दौरान कथित उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर विपक्ष लामबंद हो गया है। विपक्षी खेमे में जो मुद्दा अंदर ही अंदर चिंगारी बनकर सुलग रहा था, वह अब बड़ा रूप लेता नजर आ रहा है। विपक्ष का चुनाव के दौरान विक्टिम कार्ड कितना चलेगा कहना मुश्किल है लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले ने बिखरते नजर आ रहे विपक्ष को संजीवनी दे दी है।
केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस, टीएमसी, सपा, आरजेडी, लेफ्ट, टीएमसी सहित तमाम इंडिया गठबंधन के नेता एक सुर में बोले और लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं होने का आरोप विपक्ष द्वारा लगाया जा रहा है। अदालत, चुनाव आयोग और सड़क तक यह मुद्दा जोर शोर से उठाया गया है।
विपक्ष मान रहा है कि इस मुद्दे पर जनता की सहानुभूति उसके साथ हो सकती है। विपक्ष के नेता मान रहे हैं कि दिल्ली में इसका सीधा असर हो सकता है। साथ ही अन्य कई राज्यों में भी विपक्ष का कथित उत्पीड़न वोटिंग पैटर्न पर असर डाल सकता है।
भाजपा झाड़ रही पल्ला
हालांकि भाजपा इस पूरे मामले को एजेंसियों की स्वतंत्र कार्रवाई बताकर पल्ला झाड़ रही है। भाजपा इसे भ्रष्टाचार पर कार्रवाई का मामला बताकर विपक्ष पर पलटवार कर रही है। लेकिन विपक्ष का मानना है कि जिस तरह से एक के बाद एक भाजपा का विरोध करने वाले नेता और दल निशाने पर आ रहे हैं यह सत्ता के इशारे के बिना संभव नहीं है। विपक्ष अब चुनाव में इस मामले को अपने पक्ष में भुनाने का हर संभव प्रयास करेगा।
कई नेताओं को जेल में जाला
जानकारों का कहना है कि पिछले लगभग एक साल में, कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया, उनसे पूछताछ की गई है या संघीय एजेंसियों द्वारा उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता को कुछ ही दिन पहले ही केजरीवाल जैसे मामले में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन को एक एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग और भूमि-हथियाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह कार्रवाई चुनाव के आसपास की गई। फिर चुनाव घोषित होने के बाद कांग्रेस का खाता फ्रीज होने का मुद्दा गरमाया। अब मतदान के पहले चरण में जब एक महीने से भी कम का समय बचा है ईडी द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी से विपक्ष के कथित उत्पीड़न का मामला पीक पर पहुंच गया है।
गौरतलब है विपक्ष ने इसी तरह के आरोप उस वक्त भी लगाए थे जब राहुल गांधी को पिछले साल आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया गया था। उनकी दो साल की जेल की सजा के कारण उन्हें कुछ समय के लिए संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उन्हें राहत मिल गई।
केजरीवाल गिरफ्तार होने वाले आप के तीसरे नेता
केजरीवाल दिल्ली में शराब नीति से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार होने वाले तीसरे आप नेता हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल इसी मामले में केजरीवाल के डिप्टी मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के बड़े नेता संजय सिंह को भी गिरफ्तार किया था। 2013 में दिल्ली में सत्ता में आने के बाद से, आप ने 2022 में पंजाब के राज्य चुनावों में महत्वपूर्ण जीत हासिल की और पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में कुछ सीटें हासिल कीं।
दिल्ली विधानसभा में लगातार जीत के बाद केजरीवाल की पार्टी जिस तरह से एमसीडी में भी जीती, उसके बाद लोकसभा में भी राजधानी का चुनाव एकतरफा नहीं रह गया था। कांग्रेस से गठबंधन के बाद यहां भाजपा को चुनौती मिलती दिख रही है। जानकार मानते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को विधानसभा में वोट करने वाला मतदाता इस कार्रवाई को किस तरह से लेता है देखना होगा। लेकिन सहानुभूति का तात्कालिक लाभ विपक्ष को ही मिलने की संभावना है। ऐसे ही झारखंड में भी हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ने विपक्ष के खेमे को एकजुट किया है।
विपक्ष महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना की टूट के लिए भी सहानुभूति का दांव चल रही है। शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे तक सभी विक्टिम कार्ड के सहारे अपने मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि, इसमें कोई दो राय नहीं है चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लड़ाई में एजेंसियो की भूमिका बड़ा मुद्दा बन गई है।
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