नई दिल्ली (New Delhi) । मणिपुर हिंसा (manipur violence) को लेकर संसद (Parliament) को दोनों ही सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के बयान की मांग पर अड़ा हुआ है। अब हालांकि स्थिति बदलती नजर आ रही है। विपक्ष और सरकार के बीच सहमति बनती दिख रही है। दोनों पक्षों के नेताओं ने गुरुवार को इस बाते के संकेच दिए। विपक्षी नेताओं (opposition leaders) ने प्रधानमंत्री से बयान की मांग छोड़ दी है, लेकिन वे चाहते हैं कि नियम 167 के तहत राज्यसभा में बहस हो, जिसमें अंत में एक प्रस्ताव पारित किया जाना शामिल है।
दोनों पक्षों के नेताओं ने बताया कि सरकार और विपक्ष के बीच नियम और अन्य मुद्दों पर चर्चा चल रही है। मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को उच्च सदन में मणिपुर की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा चर्चा का जवाब देने की संभावना है।
गुरुवार को विपक्ष ने नियम 167 के तहत चर्चा आयोजित करने का सुझाव दिया। इसे यदि सदन द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो अध्यक्ष की सहमति से एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इसके बाद मंत्री का जवाब होता है और एक संकल्प पारित होता है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस सुझाव पर विचार कर सकती है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले सप्ताह संभवत: 11 अगस्त को सत्र के आखिरी दिन चर्चा का जवाब दे सकते हैं।
आपको बता दें कि गुरुवार सुबह दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई। इस मामले से जुड़े एक नेता ने बताया, “‘सरकार और विपक्ष के बीच बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी के अलावा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। इसमें यह निर्णय लिया गया कि विपक्ष नियम 267 के तहत होने वाली चर्चा के लिए दबाव नहीं डालेगा। इस दौरान यह सुझाव दिया गया कि चर्चा नियम 167 के तहत की जानी चाहिए।”
कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि विपक्ष ने एक सुझाव दिया है। उन्होंने लिखा, ”इंडिया गठबंधन के दलों ने गतिरोध को तोड़ने और राज्यसभा में मणिपुर पर निर्बाध तरीके से चर्चा कराने के लिए सदन के नेता को एक बीच के मार्ग के जरिए समाधान की पेशकश की है। आशा है कि मोदी सरकार सहमत होगी।” लेकिन विपक्षी खेमे में अभी भी कुछ अस्पष्टता है। एक नेता ने कहा, ”यह सच है कि चर्चा के लिए कुछ नोटिस पीएम के बयान पर जोर दे रहे हैं जबकि अन्य नहीं। अभी गेंद सरकार के पाले में है। उन्हें यह तय करना होगा कि उक्त नियम के तहत चर्चा की जाए या नहीं।”
सत्ता पक्ष के नेताओं ने कहा है कि वे एक निर्णय के साथ आएंगे। पार्टी के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सरकार सोच-समझकर निर्णय लेगी क्योंकि चर्चा के अंत में एक प्रस्ताव अपनाया जाना है। उन्होंने कहा, “संकल्प की शब्दावली विवाद का एक और मुद्दा हो सकती है।”
सदन में टीएमसी विधायक डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्ष मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने का इच्छुक है और गतिरोध किसी की मदद नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम यहां अहंकार दिखाने के लिए नहीं हैं। हम आपके माध्यम से अपील करते हैं कि मणिपुर को देखभाल, उपचार और सांत्वना की जरूरत है। आइए एक समाधान खोजें।” टीएमसी नेता ने कहा कि विपक्ष ने उन नियमों का मुद्दा उठाया है जिनके तहत चर्चा होनी चाहिए। इस मुद्दे पर 6-8 घंटे की चर्चा होनी चाहिए।
सरकार का पक्ष रखते हुए सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सक्रिय है। उन्होंने कहा कि शांति और स्थिरता स्थापित करने वाला संदेश भेजने की जरूरत है।
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