मंदसौर । मंदसौर में इन दिनों सफेद फूलों की बहार (These days white flowers are out in Mandsaur) छाई हुई है। सफेद फूलों के साथ अफीम पर अब डोडे भी आ चुके हैं और जिले के कुछ अफीम उत्पादक किसानों (opium producing farmers) ने लुआई चिराई का काम शुरू कर दिया है।
कई इलाकों में अभी दवाई चिराई शुरू नहीं हो पाई है। जिन किसानों को प्रथम फेज में अफीम लाइसेंस मिल गया था, उन अफीम उत्पादक किसानों की अफीम फसल में लुआई चिराई का काम शुरू हो गया है। एक हफ्ते के भीतर सभी अफीम किसान लुआई चिराई का कार्य शुरू कर देंगे।
जिले में जहां डोडा परिपक्व हो गया है, वहां अफीम के पौधों पर आए डोडे में चीरा लगाना शुरू हो गया है। अफीम कास्तकारों ने डोडे में चीरा लगाने से पहले खेत पर शुभ महूर्त में मां कालका की पूजा अर्चना की, उसके बाद अफीम डोडे पर पहला चीरा लगाया। मान्यता है कि मां कालका की पूजा अर्चना के साथ अफीम की शुरुआत करने से अफीम अच्छी निकलती है और माता अफीम की तस्करों से रक्षा करती है। जिले की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाली अफीम की पहचान काले सोने के नाम से की जाती है।
जिले में तीन खंडों में है अफीम उत्पादक किसान
मंदसौर जिले में काले सोने के नाम से मशहूर अफीम के पट्टे केंद्रीय नारटकोटिक्स विभाग जारी करता है। जिले के तीन खंडों में 13 हजार 780 पट्टाधारी किसान है। इनमें प्रथम खंड में 4 हजार 412, द्वितीय खंड में 4 हजार 712 और तृतीय खंड में 3 हजार 451 अफीम उत्पादक किसान है।
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