उज्जैन। शहर में 18 हजार से ज्यादा आवारा श्वान घूम रहे हैं। इन्हें पकडऩे के लिए नगर निगम के पास सिर्फ दो वाहन है। यह कार्रवाई भी कई दिनों से बंद है। इसके चलते शहर में रोजाना श्वान लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। आज सुबह केडी क्षेत्र में स्कूल जाते वक्त एक बच्चे को श्वान ने काट लिया जिसे परिजन उपचार के लिए जिला अस्पताल ले गए। शहर में आवारा मवेशियों की समस्या तो है ही इसी के साथ आवारा श्वान की बढ़ती तादात भी एक दूसरी बड़ी समस्या है। स्थिति यह है शहर की गलियों से लेकर प्रमुख मार्गों और चौराहों पर रात 11 बजे बाद आवारा श्वानों का आतंक शुरु हो जाता है।
दिन में भी शहर की सड़कों पर यह आवारा श्वान वाहनों के पीछे दौड़ लगाते है। कई क्षेत्रों में तो हालत यह है कि सुबह जब नगर निगम के कचरा कलेक्शन वाहन गलियों और सड़कों पर कचरा इकठ्ठा करने निकलते है तो आवारा श्वानों के झुंड नगर निगम के वाहनों के पीछे भी दौड़ते और भोंकते है। नगर निगम द्वारा करीब तीन साल पहले सदावल मार्ग पर बनाएं गए नए श्वान घर में नसबंदी की व्यवस्था भी की गई थी। इसका ठेका भी एक निजी संस्था को दिया गया था। संस्था द्वारा श्वान घर के एक कक्ष में पकड़कर लाए गए आवारा श्वानों की नसबंदी की जा रही थी। निगम अधिकारियों के अनुसार शहर के करीब 5 हजार से ज्यादा आवारा श्वानों की नसबंदी कर दी गई थी। शहर में अभी सिर्फ दो वाहनों की मदद से नगर निगम की श्वान पकडऩे वाली गैंग उन्हें पकड़कर यहां ला रही है। कई बार तो एक एरिये से गैंग द्वारा कुत्तों को पकड़कर दूसरे क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है। शहर में अभी भी करीब 18 हजार आवारा श्वान स्वतंत्र घूम रहे है। इधर जिला अस्पताल में आवारा श्वानों के शिकार हुए करीब 15 से 20 लोग रोज उपचार के लिए पहुंँचते है। हालांकि जिला अस्पताल में पूरे जिले से मरीज आते है, इस कारण यहां एक साल में करीब 16 हजार रेबीज इंजेक्शनों की आवश्यकता पड़ती है। पिछली बार भी 15 हजार से ज्यादा इंजेक्शनों की मांग की गई थी, लेकिन अस्पताल के स्टोर विभाग में सिर्फ 6 हजार रेबीज के इंजेक्शन ही भेजे गए थे।
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