नई दिल्ली। तेजी से खुद को अपग्रेड करने में जुटी भारतीय वायुसेना (Indian Air Force- IAF) को बड़ा झटका लगा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited- HAL) इस वित्तीय वर्ष में 18 की बजाय केवल दो ही Tejas Mark-1A जेट विमान ही सप्लाई (Jet aircraft supplied) कर पाएगा। हालांकि इस देरी के लिए रक्षा मंत्रालय (MoD) के अधीन आने वाले HAL को जिम्मेदार नहीं माना जा रहा है। बल्कि इसके पीछे की वजह एक अमेरिकी कंपनी है।
केवल दो ही इंजन दे पाएगी कंपनी
सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इन जेट विमानों के लिए F404 इंजन की सप्लाई करती है, लेकिन वह वर्तमान में अपनी सप्लाई चैन में संकट का सामना कर रही है और फिलहाल केवल दो इंजन ही उपलब्ध करा पा रही है। इन इंजनों से केवल दो Tejas Mark-1A जेट ही उड़ान भर सकते हैं। अगले वित्तीय वर्ष से HAL हर साल 24 जेट का उत्पादन करने के लिए तैयार है, और GE ने अपनी सप्लाई में सुधार का आश्वासन दिया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी भारत को इंजन की सप्लाई पुनः शुरू होने का आश्वासन दिया है।
भारत ने उठाया बड़ा कदम
इस बीच खबर है कि अब इंजन की सप्लाई में दो वर्ष की देरी पर अमेरिकी कंपनी जीई को अनुबंध की शर्तों के अनुसार जुर्माना देना होगा। जीई को भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले तेजस मार्क-1 ए के लिए इंजनों की आपूर्ति मार्च 2023 में करनी थी, लेकिन ये इंजन अब तक भी नहीं मिले हैं। जीई ने अब इन इंजनों की आपूर्ति अगले वर्ष अप्रैल से करने की बात कही है। समय पर इंजन की आपूर्ति नहीं होने पर भारत ने अनुबंध की शर्तों के अनुरूप जीई के खिलाफ जुर्माना लगा दिया है। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अलग-अलग समय पर अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ इंजनों की आपूर्ति में देरी का मामला उठाया था। इसके बाद अमेरिकी कंपनी ने अगले वर्ष मार्च या अप्रैल से इंजनों की आपूर्ति शुरू करने को कहा है।
सरकार ने दिया था 83 Tejas Mark-1A जेट विमानों का ऑर्डर
इंजन की आपूर्ति में हो रही इस देरी के मद्देनजर, भारत और अमेरिका ने अगस्त में एक सुरक्षा आपूर्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में ऐसी स्थिति में एक-दूसरे के संसाधनों तक पहुंच की अनुमति दी गई है, जब सप्लाई चैन में बाधा उत्पन्न होती है, जैसा कि इंजन की सप्लाई के मामले में हुआ है। GE का F404 इंजन Tejas Mark-1A के लिए चुना गया था। भारत के रक्षा मंत्रालय ने फरवरी 2021 में 48,000 करोड़ रुपये की पहली खेप के तहत 83 Tejas Mark-1A जेट विमानों का ऑर्डर दिया था। अब तक HAL एक भी विमान की सप्लाई नहीं कर पाया है, जबकि समझौते के अनुसार मार्च 2024 तक सप्लाई शुरू होनी चाहिए थी।
मार्च में Tejas Mark-1A ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। HAL ने इसे “सफल उड़ान” बताया, जिसकी अवधि 18 मिनट थी। फिलहाल भारतीय सेना को अभी भी इसका इंतजार है। IAF वर्तमान में अपनी आवश्यकताओं से कम स्क्वाड्रनों के साथ काम कर रही है। वर्तमान में वायुसेना के पास 31 स्क्वाड्रन (प्रत्येक में 16-18 विमान) हैं, जबकि पाकिस्तान और चीन से दो-तरफा खतरे से निपटने के लिए 42 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता है।
10 वर्षों में 180 जेट विमानों का उत्पादन
फरवरी 2021 में ऑर्डर किए गए 83 जेट विमानों के अलावा, रक्षा मंत्रालय ने इस वर्ष अप्रैल में HAL से अतिरिक्त 97 Tejas Mark-1A जेट के लिए कॉमर्शियल टेंडर जमा करने का अनुरोध किया। कुल मिलाकर, अगले 10 वर्षों में इन 180 जेट विमानों का उत्पादन किया जाएगा। यह पुराने विमानों की कमी को पूरा करने और संख्या को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
आगामी एक वर्ष में सोवियत-युग के दो MiG-21 फाइटर जेट स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगे। 1980 के दशक में शामिल जगुआर, MiG-29 और मिराज 2000 जेट बेड़े भी 2029-30 के बाद रिटायर होने वाले हैं। इन चार प्रकार के विमानों की संख्या लगभग 250 है और ये वर्तमान में अपने जीवन-चक्र के विस्तार पर काम कर रहे हैं। योजना के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष से अगले 14-15 वर्षों (2038-39 तक) के लिए IAF के लिए 400 लड़ाकू विमानों का स्वदेशी उत्पादन किया जाना आवश्यक है।
क्या है वजह?
सूत्रों ने कहा कि इंजन की आपूर्ति नहीं मिलने का कारण कोई दबाव की राजनीति या अन्य कारण नहीं है बल्कि यह पूरी तरह से तकनीकी कारणों से नहीं हो पा रही है। एक कारण जीई को इन इंजनों के लिए दक्षिण कोरिया से मिलने वाले उपकरणों की कमी बताया जा रहा है। तेजस मार्क -1ए देश में ही बनाये गए हल्के लड़ाकू विमान तेजस का एडवांस वर्जन है और वायु सेना को अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े के लिए इन विमानों की बहुत अधिक दरकार है।
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