जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते…!
राजेश ज्वेल
इन्दौर। एक दौड़ता-भागता शहर पिछले दिनों उदासी, मायूसी और खौफ के साये में सांसें ले रहा था…कोरोना की दूसरी लहर से लड़ते इंदौर में चारों तरफ सन्नाटा पसरा था.. सडक़ों पर भी एंबुलेंस ज्यादा दौड़ती नजर आती थी… हर घर में दहशत पसरी थी .. लेकिन वही इंदौर अब फिर आशा और जोश के साथ नई उड़ान भरने को तैयार है… ये इंदौर की तासिर भी है कि वह हर चुनौती से जल्द उबर कर उठ खड़ा होता है … जिस कोरोना महामारी ने देश और दुनिया को पिछले 14 माह से भयाक्रांत कर रखा है ,उसी कोरोना को मात देने की अब इंदौरियो ने ठानी है … इंदौर ही वह शहर है जिसने स्वच्छता के मामले में एक नहीं अनवरत चार बार परचम लहराया है और पांचवीं बार के लिए भी दौड़ में अव्वल है…अब वही इंदौर कोरोना से जंग में भी एक नई मिसाल कायम करने जा रहा है…
कोरोना से लडऩे के लिए फिलवक्त सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन ही है..जो इंदौरियों की रगों में दौड़ेगी..ताकि फिर शहर पहले की तरह किसी लॉक डाउन के कुचक्र में न फंसे…इसकी रफ्तार ना थमे और ना रुके… लिहाज़ा 21 जून के वैक्सीनेशन महायज्ञ में हर इंदौरी को अपनी आहूति देना है… हर इंदौरी को यह प्रण लेना है कि वह अपने साथ पूरे परिवार और समाज को वैक्सीन लगवा कर सुरक्षित करेगा…वैक्सिनेशन का ये महाअभियान इंदौर की उत्सवधर्मिता को भी बखूबी रेखाँकित कर रहा है .. चारों तरफ शानदार जागरूकता देखने को मिल रही है.. कहीं पर लाल कालीन बिछे हैं तो कहीं पर बंदनवार सजे हैं .. रंग बिरंगे गुब्बारे लगे हैं और आकर्षक स्लोगन , अपीलो और गीतों के जरिए नागरिकों को प्रेरित किया जा रहा है कि वह अपने नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर पर जाएं और वैक्सीन अवश्य लगवाएं…अगर तीसरी लहर आती भी है तो वह अपने पीछे बर्बादी के वैसे भूतिया निशान नहीं छोड़ेगी…वैसे भी हम इंदौरी इस शेर पर यक़ी करते है….
ढूंढ ही लेते है अंधेरों में मंजिल अपनी ,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज नहीं होते..!
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