भोपाल। केंद्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने भले ही एक आंकड़ा जारी कर खुदरा महंगाई दर कम होने का दावा किया है, लेकिन यह सिर्फ हवा-हवाई बातें हैं। आम जनता की जरूरत की चीजें अब भी उनकी पहुंच से बाहर हैं। सबसे बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमतों पर भी कोई विशेष असर नहीं पड़ा है। गत वर्ष के मुकाबले ये दरें अब भी आसमान छू रही हैं। कुछ पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर लगाए गए पांच प्रतिशत गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) ने इनकी कीमतें और बढ़ा दी हैं। आटा, चावल, दाल, तेल, रिफाइंड आदि खाद्य पदार्थों की कीमतें गत वर्ष की तुलना में अब भी 10 से 20 प्रतिशत महंगी हैं।
गत शुक्रवार को केंद्र सरकार ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर खुदरा महंगाई दर 7.01 से घटकर 6.71 प्रतिशत हो गई है। यह पिछले पांच महीनों में सबसे कम है। इसके पीछे कारण बताया गया कि फूड आइटम्स की कीमतों में गिरावट के कारण महंगाई दर कम हुई है। सबसे अधिक गिरावट खाद्य तेलों की कमी में देखी गई है। इसके चलते महंगाई कम हुई है, जबकि हकीकत यह है कि लगातार 34 वें महीने में खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक आफ इंडिया के मध्य अवधि के तय लक्ष्य चार फीसदी से कहीं अधिक है। इस दावे की पड़ताल की गई, तो पता चला कि पिछले वर्ष बुनियादी खाद्य पदार्थों की जो कीमते थीं, वो कुछ माह पहले बढ़ीं लेकिन महंगाई दर कम होने पर उनका असर कीमतों पर नहीं पड़ा। अब भी बाजार में खाद्य पदार्थ उन्हीं कीमतों पर मिल रहे हैं, जिन पर जून माह में मिल रहे थे।
कंपनियों की चल रही चालाकी
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों ने चालाकी दिखाते हुए कुछ प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाए, तो सस्ती कीमत के कुछ प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाने के बजाय उनके वजन में कटौती कर दी। 10 से 20 रुपये की तय कीमतों में आने वाली खाद्य सामग्रियों के रेट बढ़ाने की बजाय कंपनियों ने इनके वजन में कमी कर दी है। इसके पीछे एफएमसीजी कंपनियां बाहर से आयात होने वाले कच्चे माल की कीमतें बढऩे का हवाला दे रही थीं, लेकिन अब भी इन कीमतों में कोई कमी नहीं हुई है।
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